देहरादून। गत दिनों आए भूकंप के झटकों से प्रशासन सचेत हो गया है और लगातार इसी प्रयास में लगा हुआ है कि अगर प्रदेश में दोबारा भूकंप आता है तो उससे कैसे निपटा जाए और नुकसान कम से कम हो। प्रशासन द्वारा भूकंप के झटकों से प्रदेश को बचाने की कड़ी में आईआईटी रूड़की ने रीजनल अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है।
इस सिस्टम के बारे में जानकारी देने के लिए एस रामास्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईआईटी रूड़की के भूकम्प वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि एक मोबाइल एप भी विकसित किया गया है। भूकम्प आने की स्थिति में मोबाइल से एक विशेष प्रकार की बीप के साथ एलर्ट किया जायेगा। इतना ही नहीं अर्ली वार्निंग सिस्टम को आल इंडिया रेड़ियो से भी कनेक्ट किया जायेगा। जहां पर कनेक्टिविटी नहीं है, वहां रेडियो के माध्यम से सायरन बजेगा। यदि रेडियो बंद है तब भी सायरन बजेगा।
कैसे बना सॉफ्टवेयर
अर्ली वार्निंग सिस्टम का साफ्टवेयर भी बनाया गया है। उन्होने बताया कि अभी तक 84 सेंसर लगाये गये हैं। 1100 सेंसर और लगाये जाने हैं। सेंसर लगाने के बाद सभी संवेदनशील स्थानों पर सायरन लगाये जायेंगे।
भूकम्प आने की स्थिति में सायरन बजेगा। इससे लोग अपनी जान बचा सकेंगे। इसके लिए राज्य के संवेदनशील स्थानों पर सेंसर लगाये जाएंगें।