महाभारत के युद्ध की आज भी चर्चा होती है। हर कोई महाभारत से जुड़े रहस्य जानना चाहता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, आज भी महाभारत से जुड़े हुए कुछ ऐसे रहस्य हैं। जिनसे कभी पर्दा नहीं उठ सका। उन्हीं मे से एक है 18 अंक का रहस्य। महाभारत युद्ध में 18 संख्या का बहुत महत्व है। महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं। कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया। 18 दिन तक ही युद्ध चला। गीता में भी 18 अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।
इतना ही नहीं, भगवान कृष्ण का जन्म आठवें अवतार के रूप में अट्ठाईसवें द्वापर में, देवकी की आठवीं सन्तान के रूप में, कृष्ण पक्ष की रात्रि के सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें मुहूर्त में और अष्टमी के दिन 3112 ईसा पूर्व हुआ था। कृष्ण जन्म के दौरान आठ का जो संयोग बना उसमें क्या कोई रहस्य छिपा है। गौरतलब है कि कृष्ण की आठ ही पत्नियां थी। आठ अंक का उनके जीवन में बहुत महत्व रहा है।
महाभारत में कई ऐसी जगहों का प्रयोग हुआ और ये 18 का अंक का बहुत गहरा रहस्य है। दरअसल में 18 के अंक 1 और 8 को जोड़ने पर 9 बनता है। और 9 का सनातन धर्म में बहुत महत्व है क्योकि 9 किसी भी अंक में सबसे बड़ी संख्या होती है। यदि हम पांच या छ अंको की किसी संख्या को भी ले लेते है तो उसमे भी 10000 से बड़ी संख्या 99999 ही होगी।
इसकारण से 9 पवित्र भी है और यह पूर्ण अंक भी। इसके साथ में महाभारत भी एक पूर्ण ग्रन्थ है इस कारण इसमें कई स्थानों पर 9 पूर्ण अंक का प्रयोग हुआ है और जिससे महाभारत की पूर्णता भी सिद्ध होती ही है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, आज दिन तक इस 18 अंक के रहस्य का कोई खुलासा नहीं कर सका है। जिसकी वजह से लोग 18 नंबर को लेकर अपने हिसाब से इसका मतब निकालने की कोशिश करते हैं। लेकिन आज दिन तक इसके महत्व के बारे में कोी नहीं जान सका है।