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त्रिपुरा में भगवा राज का उदय, पीएम की मौजूदगी में बिप्लब ने ली शपथ

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अगरतला। त्रिपुरा में बीजेपी को शानदार जीत दिलाने वाले बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बिप्लब देब ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली हैं। देब त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री हैं और उन्हें चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने त्रिपुरा का अध्यक्ष बनाया था। त्रिपुरा में सीएम की शपथ के दौरान बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी मौजूद रहे। शपथ ग्रहण सामारोह के दौरान पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य नेता मौजूद रहे। बिप्लब कुमार देब आरएसएस से जुड़े रहे हैं और वे बीजेपी के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। tripura 00000 1 त्रिपुरा में भगवा राज का उदय, पीएम की मौजूदगी में बिप्लब ने ली शपथ

देब के अलावा जिष्णु देव वर्मा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ये पहली बार हुआ है कि त्रिपुरा में किसी सरकार ने इस प्रकार खुले मैदान में शपथ ली हो। इसके अलावा मनजोत कांति ने मंत्री पद की शपथ ली। मनजोत कमलापुर से बीजेपी के विधायक हैं। मेवाड़ कुमार जमातिया ने मंत्री पद की शपथ ली, आश्रमबाड़ी सीट से जीतकर विधायक बने, इन्होंने सीपीएम उम्मीदवार अघोत देब वर्मा को हराया है। इसके साथ ही सुदेब रॉय बर्मन. नरेंद्रदेव वर्मा, सांत्वा चकमा, रतनलाल नाथ, प्रंजित सिंह रॉय ने मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार बनने के बाद देश के 29 राज्यों में से 21 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकार बन चुकी है।

गौरतलब है कि बीजेपी ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 35 सीटें हासिल कीं वहीं उसकी सहयोगी जनजातीय पार्टी आईपीएफटी ने आठ सीटों पर कब्जा जमाया है। इस तरह वाम गढ़ में दो तिहाई बहुमत से बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। माकपा ने 16 सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस अपना खाता खोलने में नाकाम रही और एक सीट पर किसी कारणवश चुनाव नहीं हो पाया था। वहीं दूसरी तरफ जिस दिन से त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार आई है उसी दिन से वामपंथियों के खिलाफ हमले तेज हो गए हैं। नतीजों के दों दिन बाद ही वामपंथी विचारधारा के जनक लेनिन की मूर्ति को तोड़ दिया गया था, जिसके बाद पूरे देश में एक दूसेर आईडीलॉजी की मूर्ति तोड़ी जाने लगी। यहां तक की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक की मूर्ति को नहीं बक्शा गया।

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