नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को बजरी खनन के मामले में कोई राहत न देते हुए तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने इस मामले में निर्देश देते हुए कहा कि जब तक एनवायरमेंट अप्रेजल कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक प्रदेश में बजरी खनन की अनुमति नही दी जा सकती। बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में कमेटी को छह सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा है। आपको बता दें कि कोर्ट ने गत नवंबर में प्रदेश के सभी 82 लीज फोल्डरों द्वारा किए जा रहे बजरी खनन पर पाबंदी लगा दी थी। दरअसल राज्य सरकार की तरफ से सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पेश कर कहा गया था कि राज्य में 10 स्थानों से बजरी खनन करने की अनुमति दी जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति देने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई 6 सप्ताह बाद रखी है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गत नवंबर में प्रदेश के सभी 82 लीज होल्डरों द्वारा किए जा रहे बजरी खनन पर पाबंदी लगा दी थी। न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर व दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश लीजधारकों द्वारा पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने पर दिए थे। सुनवाई के दौरान एक एनजीओ ने कहा कि लीज धारकों ने अभी तक भी पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली है और उसके बिना ही प्रदेश में बजरी खनन किया जा रहा है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि चार साल हो गए और अभी तक भी पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी नहीं ली है। जवाब में लीज धारकों ने कहा था कि उन्होंने पर्यावरण स्वीकृति के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन कर रखा है और उनका आवेदन लंबित है। ऐसे में पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं।