नई दिल्ली। बांग्लादेश में पोप फ्रांसिस रोहिंग्या शरणार्थियों की व्यथा-कथा सुनकर रो पड़े थे। रोम लौटते समय उन्होंने कहा कि रोहिंग्या लोगों से मुलाकात म्यांमार और बांग्लादेश की उनकी यात्रा के लिए एक शर्त थी। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। पोप ने विमान में पत्रकारों से कहा कि शरणार्थी भी रो रहे थे। वेटिकन में उन्होंने कहा कि पोप की रोहिंग्या लोगों से मुलाकात म्यामांर में हिंसा के कारण भाग रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता जताने का सूचक थी।
बता दें कि विमान में प्रेस वार्ता के दौरान पोप फ्रांसिस ने कहा, “ मैं जानता था कि मैं रोहिंग्या लोगों से मुलाकात करूंगा, लेकिन यह नहीं पता था कि कहां और कैसे? मेरे लिए उनसे मुलाकात यात्रा की एक शर्त थी। विदित हो कि पोप ने म्यामांर की अपनी यात्रा के दौरान सार्वजनिक तौर पर रोहिंग्या का कोई प्रत्यक्ष जिक्र नहीं किया। बांग्लादेश में उन्होंने एक शरणार्थी शिविर में रोहिंग्या लोगों के एक समूह से मुलाकात की और उन्हें संबोधित किया।
वहीं यात्रा के अनुभवों के बारे में बताते हुए पोप ने कहा कि बांग्लादेश ने उन लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। यह स्वागत योग्य है। पोप ने कहा, “ मैं रोया, मैंने अपने आंसू छिपाने की कोशिश की, मैंने अपने आप को कहा कि मैं उनसे बिना एक भी शब्द कहे जा नहीं सकता था। पोप ने रोहिंग्या से कहा कि जिन लोगों ने आपको सताया, आपको नुकसान पहुंचाया और दुनिया की उदासीनता को लेकर मैं आपसे उन्हें माफ करने के लिए कहता हूं। पोप ने ढाका के वेटिकन दूतावास में प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात की थी।