नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीय केंद्र में संसदीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने अपने पहले प्रवासी सम्मेलन में कहा कि भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों का भी पूरा योगदान है और आगे भी प्रवासी भारतीय निवेश के जरिए देश की सेवा कर सकते हैं। पीएम मोदी ने अगले साल होने वाले कुंभ मेले को लेकर कहा कि यूपी सरकार ने इसके लिए व्यापक तैयारी शुरू कर दी है और अगले साल जब आप भारत आएंगे तो कुंभ मेले का भी दर्शन कीजिएगा। मोदी ने सभी से आग्रह किया कि अपने देश में इस बात को बताएं।
पीएम मोदी ने कहा कि अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए दुनिया की सभी समस्याओं को सुलझाया जा सकता है और न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए हम आपके साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि सुषमा जी 24*7 भारतीय नागरिकों की मदद करती है। पीएम मोदी बोले कि प्रथम और दोनों विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों ने योगदान दिया, जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र की शांती आर्मी में भारत सबसे आगे है। उन्होंने बताया कि मैं अपने हर विदेशी दौरे पर वहां रहने वाले भारतीयों से जरूर मुलाकात करता हूं, क्योंकि असली एबेंसेडर वहीं हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने कुछ समय पहले योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसको भरपूर समर्थन मिला था। उन्होंने कहा कि जब नेपाल में भूकंप आया, तो भारत ने कदम उठाए और मदद की। पीएम ने कहा कि जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। मोदी बोले कि आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक Mini World Parliament मेरे सामने उपस्थित है।
पीएम ने कहा कि आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में Head of State और Head of Government रह चुके हैं, पिछले सालों में भारत में विदेशी निवेश में काफी इजाफा हुआ है। पिछले तीन-चार सालों में दुनिया का फोकस दुनिया पर बढ़ा है। सांसदों से पीएम ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, वहीं पूरी तरह Integrate हो कर, उस जगह को अपना घर बना लिया. उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए.