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सभी दलों के मुखिया से पेंशन विहीनों ने की ये मांग, सरकार को भी चेताया

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लखनऊ। अटेवा/एनएमओपीएस में देश के राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, आप, टीमसी सहित तमाम राजनीतिक दलों को रजिस्टर्ड पत्र भेज करके पुरानी पेंशन व निजीकरण पर अपना मत स्पष्ट करने की बात की गयी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की।

भाजपा मुखिया को सौंपे गए पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुराने पत्र का हवाला दिया गया है। जब बतौर सांसद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पुरानी पेन्शन बहाली के लिए पत्र लिखा था। इसलिए सरकार तत्काल पुरानी पेंशन बहाल करे।

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डाक से सभी दलों के मुखिया को भेजा गया पत्र

अटेवा के मुखिया विजय कुमार बंधु ने बताया कि विभिन्न विपक्षी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी, प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू,  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल, यूपी प्रभारी संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी, प्रदेश अध्यक्ष नीरज राय, प्रसपा के शिवपाल सिंह यादव, सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर व वामदलों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों को डाक से रजिस्टर्ड पत्र भेजे गये।

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अटेवा/ एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु  ने बताया कि सभी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्षों को पत्र भेजकर के पुरानी पेंशन के पक्ष में बात रखने की मांग उठाई है। श्री बन्धु ने अपने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश में 13.37 लाख व देश भर में 70 लाख से ज्यादा शिक्षक कर्मी एनपीएस की शोषणकारी व्यवस्था के अन्तर्गत आते हैं। यह एक बड़ी संख्या है।

आगामी जिन राज्यों में विधानसभा का चुनाव है वहां बहुत कुछ प्रभावित करेगा। यदि सरकारों ने अनसुना किया उसका परिणाम भी भुगतना पड़ेगा। साथ ही विपक्षी दलों के उनके नेताओं से भी अपील की कि पुरानी पेंशन बहाली को अपने मुख्य एजेण्डे मे रखें और शिक्षकों कर्मचारियों की लड़ाई को लड़ें। क्योंकि पुरानी पेंशन आगामी विधानसभा चुनाव में टर्निंग प्वाइंट साबित होगा।

अटेवा के प्रदेश महामंत्री नीरजपति त्रिपाठी ने बताया कि जिस तरह से सरकारे इस मुद्दे पर संवेदनहीन है वह बहुत ही दुखद है। तमाम दलों के लोगों ने तो पत्र भी लिखे हैं, वादे भी किए हैं। लेकिन अभी तक उस पर अमल नहीं किया गया। यह भारतीय लोकतंत्र के साथ मजाक है।

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अटेवा के प्रदेश सलाहकार आंनदवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 13.37 लाख  विभिन्न विभागों के एनपीएस शिक्षक कर्मी का 10% व सरकार का पैसे प्राइवेट कंपनियां प्रति वर्ष 12835.2 करोड़ ले जा रही हैं।

यदि सरकार इस पैसे को अपने पास लेकर के कार्य करती तो सरकार और प्रदेश दोनों फायदे में रहता। सरकार ने कभी भी इस तरह के आंकड़ों पर गंभीरता नहीं दिखाई। यदि एक बार इस पर मंथन कर ले तो एनपीएस को खुद व खुद वापस करने को मजबूर होंगे ।

अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ राजेश कुमार बताया कि 13.37 लाख शिक्षक कर्मचारियों को 5 से गुणा करे तो 80 लाख से ज्यादा लोग इससे सीधे प्रभावित हैं। जो आगामी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

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