अहमदाबाद। देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले ने मोदी सरकार को हिला कर रख दिया है। पंजाब नैशनल बैंक के छह बैंकों से 11400 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर फरार होने वाले हीरा व्यापारि नीरव मोदी पर केंद्र सरकार सख्त नजर आ रही है। नीरव मोदी के ठिकानों पर छापों के बीच सरकार ने कहा है कि पूरी रकम वसुल की जाएगी। बात दें कि इस घोटाले की शुरुआत साल 2013 में कांग्रेस के शासन काल में हुई थी, जब इलाहाबाद बैंक की निदेशक मंडल की बैठक हुई थी। राजधानी दिल्ली में हुई उस बैठक में गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चौकसी को 550 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी गई थी।
नीरव और मेहुल की बात करे तो दोनों रिश्ते में मामा-भांजा है। इन्ही दोनों मामा भांजे ने मिलकर भारत के बैंकिग सेक्टर को इतना बड़ा चूना लगाया और बाद में फरारा हो गए। चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान किया गया है। बता दें कि इलाहाबाद बैंक पीएनबी सहित देश के चार अन्य सरकारी बैंकों को लीड करता है। आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि, नक्षत्र और गिन्नी ज्वेलरी चेन चलाने वाला मेहुल चौकसी मूलतः गुजरात के निवासी है। दरअसल राजधानी के होटल रेडीसन में 14 सितंबर 2013 को इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल की बैठक हुई थी
इस बैठक में उस समय भारत सरकार की तरफ से नियुक्त निदेशक दिनेश दुबे ने चौकसी को 550 करोड़ लोन के रूप में दिए थे। इस बैठक की जानकारी खुद दूबे ने 16 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती को दी थी। इसके बारे में बैंक अधिकारियों को बताया भी गया था, लेकिन तब किसी भी बैंक ने इस मामले की सूध तक नहीं ली थी और चौकसी को बैंक की हांगकांग ब्रांच से कर्ज दे दिया गया था। इस मामले को लेकर इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक कहते हैं कि केंद्रीय वित्त सचिव और आरबीआई को इस फैसले की भनक लगते ही हड़कंप मच गया था।
वहीं बैंक के अधिकारी मेहुल चौकसी को सैकड़ों करोड़ देकर खुद भी करोड़ों रुपये डकारने में लगे थे, जिसके चलते मामला दब गया। बाद में यही घपला हजारों करोड़ तक पहुंच गया। उनका दावा है कि देश के सरकारी बैंकों से अवैध तरीके से लिए गए कर्ज की राशि 20 हजार करोड़ तक हो सकती है। गौरतलब है कि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने मिलकर देश के बैंकिंग सेक्टर को हजारों करोड़ का चूना लगाया है। इससे पहले से खराब हालात से जूझ रहे बैंकिंग क्षेत्र को ओर खराब दिन देखने पड़ सकते हैं।