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अपने अंतिम बजट में मोदी सरकार दे सकती है मध्यम वर्ग को कर से राहत

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नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस साल अपने आखिरी बजट में मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत दे सकती है। सरकार वित्त वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक वित्त बजट के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव संसद के पटल पर सरकार रख सकती है। हालांकि कर में छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय-समय पर विपक्ष मांग करता रहेगा। दरअसल वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट है,जिसके तहत सरकार मध्यम वर्ग के लोगों को, जिसमें ज्यादातर वेतन भोगी तबका है को बड़ी राहत देकर 2019 में होने वाले आम चुनावों का हित साध सकती है।

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सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिये। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है।सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में कर स्लैब में व्यापक बदलाव कर पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय को दस प्रतिशत कर दायरे में लाया जा सकता है जबकि 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जायेगा।

वर्तमान में ढाई से पांच लाख की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देय है। उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है, ‘‘मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है। ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिये। उद्योग जगत ने कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर को भी 25 प्रतिशत करने की मांग की है, हालांकि सरकार पर राजकोषीय दबाव को देखते हुये उसके लिये इस मांग को पूरा करना मुश्किल लगता है।

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