नई दिल्ली: 1947 में भारत के बंटवारे का दंश सबसे ज्यादा महिलाओं ने झेला था। अनुमान है कि इस दौरान 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हत्या और बलात्कार हुआ था। जबरन शादी, गुलामी और जख्म ये सब बंटवारे में औरतों के हिस्से में ही आया था।
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1947 और 1948 के बीच सरला दत्ता को एक पाकिस्तानी सैनिक ने बंधक बना कर रखा था। तब उनकी उम्र 15 साल थी। वह आज भी उस वक्त मिली तकलीफों को याद कर सिहर उठती हैं। तब धार्मिक हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया था और उन्हें पुरुषों की लड़ाई में महिला होने की कीमत चुकानी पड़ी थी। सरला की मां का कम उम्र में ही देहांत हो गया था। वह कश्मीर के मीरपुर में अपने एक पारिवारिक मित्र के घर में रहती थीं और उनके पिता जम्मू के रेडियो स्टेशन में संगीतकार के रूप में काम करते थे। जो वहां से करीब 100 किलोमीटर दूर था।
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जब हिंदुओं और सिखों की बस्ती पर मुसलमानों ने कब्जा किया तो वह अपना घर छोड़ कर भाग निकलीं। उन लोगों को वहां से जाने की धमकियां दी जा रही थीं कि जो भी बचा उसकी हत्या कर दी जाएगी। अब नई दिल्ली में रहने वाली सरला दत्ता कहती हैं, “उस रात जब हम भागे, तब हमने खेतों में पड़े बच्चों को देखा, जो रो रहे थे। पुरुष अपने बच्चों को छोड़ दे रहे थे और महिलाओ को डर था कि उनके साथ अगर तेजी से नहीं चलीं तो पीछे छूट जाएंगी। बहुत सी महिलाएं कमजोर भी थीं। इंसानियत बिल्कुल खत्म हो गयी थी। बहुत बुरा वक्त था।”
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अगली सुबह जब वो जंगल में छिपते छिपाते जा रहे थे तभी एक हथियारबंद गुट ने उन पर हमला किया। लड़कों और पुरुषों को गोली मार दी गयी, बूढ़ों को छोड़ दिया गया और महिलाओं को उन्होंने अगवा कर लिया। सरला को कालू नाम के एक सैनिक ने बंधक बना लिया। वह बताती हैं, “चार दिन तक पैदल चलने के बाद हम उसके गांव पहुंचे। मुझे एक मुस्लिम नाम अनवारा दे दिया गया और उसने मुझे कुरान पढ़ने को कहा। मुझसे कहा गया कि मेरी कालू के छोटे भाई से शादी होगी।” अपनी कहानी सुनाते सुनाते वह सबूत के तौर पर अचानक कुरान की आयतें सुनाने लगीं।
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बंधक रहने के दौरान उनका जीवन बहुत मुश्किल था। उन्हें जंगल से लकड़ियां चुनने और कुएं से पानी भरने जाना पड़ता था। वह बताती हैं, “गांव में मुझे पता चला कि काफिर महिलाओं का यौन शोषण किया जाता था और उन्हें जबरन बीवी बना कर रखा जाता था।” उनका कहना है कि हिंदुस्तान में मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए अपराधों का बदला लेने के लिए बलात्कार पीड़िताओं को पाकिस्तानी शहरों में नंगा घुमाया जाता था। सरला के मुताबिक कई महिलाओं ने तो जब उन पर हमला हुआ कुएं में कूद कर जान दे दी।
By: Ritu Raj