नई दिल्ली। सैन्य अदालत ने पिछले साल बालाकोट हवाई हमले के अगले दिन श्रीनगर हेलिकॉप्टर हादसे के मामले में कथित रूप से शामिल दो अधिकारियों के खिलाफ चल रही अनुशासनात्मक कार्रवाई में आज अग्रिम कार्रवाई पर 30 सितंबर तक रोक लगा दी।
आपको बता दें कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर 14 फरवरी, 2019 को हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी को तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी ठिकाने पर हमला किया था। हमले के अगले दिन पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में घुस आए थे और ठीक उसी समय भारतीय सेना का लड़ाकू विमान श्रीनगर में एयरवेज पर लौट रहा था। वायु सेना ने गलती से इसे दुश्मन देश का हेलीकॉप्टर समझ लिया और उसे मार गिराया था। इसमें दो पायलट समेत छह वायु सैनिक शहीद हो गए थे।
प्रधान पीठ में दी गई थी चुनौती
इस घटना के बाद वायु सैनिक के दो अधिकारियों (ग्रुप कैप्टन एसआर चौधरी और विंग कमांडर श्याम नेथानी) को कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में दोषी पाया गया था। इन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ में इसे चुनौती दी थी। सैन्य अदालत ने प्रथम दृष्टया कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में नियमों के उल्लंघन की दलील मानते हुए 30 सितंबर तक दोनों अफसरों के खिलाफ किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
दोनोंं अधिकारियों के वकील अंकुर छिब्बर ने कहा कि, दोनों कार्यालयों (ग्रुप कैप्टन एसआर चौधरी और विंग कमांडर श्याम नैथानी) ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) को चुनौती दी थी, साथ ही विशेष वायु सेना के नियमों के उल्लंघन के आधार पर इसकी खोज के साथ-साथ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही थी जो वायु सेना के आदेश के विपरीत।
उन्होंने कहा, पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत कहा कि, प्रथम दृष्टया सीओआई में उल्लंघन हैं और इसलिए निर्देश दिया है कि उक्त सीओआई और उसके निष्कर्षों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए जो कि अगली तारीख 30 सितंबर तक है। चेयरमैन राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली सशस्त्र सेना न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ ने कहा कि हमारे पास यह विचार है कि आवेदक के पास प्राइमा पहलू है, जो अदालत की जांच के संचालन में गैर वैधानिक प्रावधानों के साथ गैर-अनुपालन का प्रदर्शन करने में सक्षम है।