- संवाददाता, भारत खबर
आगरा। सूबे में कानून व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है एक ओर जहां स्वाभिमान के खातिर योगी सरकार पत्रकारों का उत्पीड़न कर रही है तो वहीं बदमाशों ने कानून को ताक पर रखकर खूनी खेल खेल रहे हैं। यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश सिंह को गोलियों से मौत के घाट उतार दिया गया और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।
गोलीकांड की घटना के बाद दीवानी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स यहां तैनात कर दिया गया है। ताज नगरी आगरा में दरवेश को दिन दहाड़े तीन गोलियां मारी गई जिसके बाद साथी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को भी गोली मार ली। उसका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
छोटा सा विवाद और मार दी गोली
यूपी बार काउंसिल का अध्यक्ष चुने जाने के बाद दरवेश यादव का किसी बात पर साथी अधिवक्ता मनीष बाबू से कहासुनी हो गई इसके बाद आपा खोए मनीष शर्मा ने अपनी पिस्टल से दनादन तीन गोलियां दरवेश के सीने में गाड़ दी। घटना के बाद मनीष ने खुद को भी गोली मार ली। दरवेश को तत्काल समीपवर्ती पुष्पांजलि अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। फायरिंग से दीवानी परिसर में अफरा-तफरी फैल गई। इधर, मनीष बाबू शर्मा को लोटस अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
एटा की रहने वाली हैं दरवेश
रिटायर्ड पुलिस क्षेत्राधिकारी की बड़ी पुत्री दरवेश मूल रूप से एटा की रहने वाली थीं। पहली बार 2012 में सदस्य पद पर विजयी हुई थीं। उन्होंने आगरा कॉलेज से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) से एलएलएम किया। 2004 में वकालत शुरू की।
यूपी बार काउंसिल के इतिहास में अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाली दरवेश यादव दो दिन पहले ही पहली महिला अध्यक्ष बनी थीं। दरवेश यादव बार काउंसिल के 24 सदस्यों में वे अकेली महिला थीं। यूपी बार काउंसिल के प्रयागराज में हुए चुनाव में दरवेश यादव और हरिशंकर सिंह को बराबर 12-12 वोट मिले। बार चुनाव मैदान में कुल 298 प्रत्याशी थे। इसी जीत का जश्न दरवेश की मोत का कारण बन गई। बताया जा रहा है कि उनके हमलावर मनीष बाबू शर्मा के साथ घनिष्ठ रिश्ते थे।