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वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

मथुरा: जिले के वृंदावन धाम में फूलों की होली खेली गई। इस दौरान लोग मस्ती में नजर आए। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों के साथ खूब अबीर और गुलाल उड़े। भक्तों ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को रंग लगाया और उनका आशीर्वाद लिया।

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

इस दौरान भक्तों ने एक दूसरे को गले भी लगाया। इस दौरान बांकेबिहारी मंदिर का माहौल आध्यात्मिक हो गया। वहीं फूलों की होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक मौजूद रहे। कृष्ण के भक्तों में फूलों की होली खेलने का गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था। भक्त बांकेबिहारी के धुन में खोए दिख रहे थे।

पूरी दुनिया में मशहूर है फूलों की होली

बरसाने की लट्ठमार होली की तरह वृंदावन की फूलों की होली भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां के बांके बिहारी मंदिर में खेली जाने वाली फूलों की होली को देखने देश-विदेश से लोग आते हैं।

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

इस होली में कृष्ण और राधा का स्वरूप बने कलाकारों के साथ भक्त फूलों की होली खेलते हैं। इसके साथ ही मंदिर में दूर-दूर से होली खेलने आए संतों और महंतों पर भक्त फूलों की बारिश करते हैं। बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली का ये नजारा अद्भुत होता है।

आनंदित कर देता है दृश्य

यहां आने वाले भक्त और पर्यटक श्री कृष्ण और राधा जी के स्वरूप के साथ फूलों की होली खेलते हैं और खूब मस्ती करते हैं।

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

ये नजारा मथुरा में आने वाले देशी और विदेशी भक्तों को आनंदित कर देता है। दरअसल कृष्णजी रंगों के साथ-साथ फूलों की भी होली खेलते थे। इस दौरान वो राधाजी के साथ गोपियों को भी खूब तंग करते थे।

कृष्ण जी खेलते थे फूलों की होली

होली पर जब रंग खत्म हो जाते थे तो वो फूलो से ही राधाजी और गोपियों पर अपने सखाओं के साथ फूलों की बारिश कर देते थे। तभी से मथुरा और वृंदावन में ये परंपरा चली आ रही है और लोग पूरे गोकुलधाम में फूलोत्सव मनाते है।

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

ये फूलोत्सव होली के आने से कुछ दिन पहले शुरू हो जाता है और होली तक यहां पर्व से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम होते रहते हैं।

रिवाजों के लिए मशहूर है मथुरा

बता दें कि पूरे ब्रजधाम में विभिन्न तरीके से होली खेलने का रिवाज है। कहीं लट्ठमार और लड्डू से होली खेली जाती है, तो कहीं अबीर गुलाल और फूलों से होली खेली जाती है। यहां के बांकेबिहारी मंदिर में होली पर एक अलग ही किस्म का उल्लास देखने को मिलता है।

 

वृंदावन में खेली गई ‘फूलों की होली’ वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़

यहां सबसे पहले प्रभु श्री कृष्ण की मूर्ति पर माला चढ़ाकर उनकी आरती उतारी जाती है।
उसके बाद उनको लड्डुओं का भोग लगाया जाता है।

होली के इस पावन अवसर पर यहां हाथी भी बुलाए जाते हैं, जो कृष्ण जी मूर्ति के सामने घंटे बजाते हैं और प्रभु श्रीकृष्ण और श्री राधाजी को खुश करने का प्रयास करते हैं। यहां के सजे-धजे हाथियों को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे हम साक्षात कृष्ण जी के लोक में पहुंच गए हैं।

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