- एजेंसी, नई दिल्ली
दिग्गज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ 20 हजार करोड़ का रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का केस जीता है। द हॉग कोर्ट (The Hague Court) ने भारत सरकार के खिलाफ यह यह फैसला सुनाया और कहा कि भारतीय टैक्स डिपार्टमेंट ने निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया। फैसले में कहा गया है कि भारत और नीदरलैंड के बीच निवेश संधि के समझौतों को दरकिनार करते हुए भारत सरकार ने वोडाफोन पर एक टैक्स लायबिलिटी लागू की है।
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने ब्याज और जुर्माने सहित पूंजीगत लाभ करो में 20000 करोड रुपए के भारत के नोटिस वाले प्रकरण में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चुनौती दी थी। ब्रिटिश टेलीकॉम दिग्गज ने 2016 में हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट (The Hague Court) ऑफ जस्टिस (ICJ) का रुख किया था। वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ वकील अनुराधा दत्त ने इस मामले में कहा कि 2012 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद अदालत का फैसला कंपनी के लिए जीत का दूसरा दौर था। 2013 में वोडाफोन ने भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश संधि का आह्वान किया था।
इस डील को लेकर टैक्स डिपार्टमेंट ने वोडाफोन से कैपिटल गेन टैक्स की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के अपने फैसले में कहा था कि वोडाफोन ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 को ठीक समझा है. उसने कहा 2007 में यह डील टैक्स के दायरे में नहीं थी इसलिए अब इस पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता है।
2007 में वोडाफोन ने हॉन्गकॉन्ग के हचिसन ग्रुप के मालिक हचिसन हामपोआ (Hutchison Whampoa) के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. वोडाफोन ने यह हिस्सेसदारी नीदरलैंड और केमैन आईलैंड स्थित अपनी कंपनियों के जरिए हासिल की थी।