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पाक जाने वाले पानी को रोकेगी सरकार, इन तीन राज्यों को दिया जाएगा

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रोहतक। सतलुज, व्यास और रावी नदी का पानी पाकिस्तान जाने को लेकर जल संसाधन और नदी विकास मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सतलुज, व्यास और रावी के पानी को पाकिस्तान में जाने से रोका जाएगा और इस पानी के जरिए दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में पानी की किल्लत को पूरा किया जाएगा। गडकरी ने सतलुज युमना लिंक नहर का नाम लिए बिना ही 2019 के लोकसभा के मद्देनजर हरियाणा की पानी की राजनीति को नई हवा दे गए हैं। गडकरी रोहतक में तृतीय लीडरशीप समिट-2018 के समापन पर किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते के तहत तीन नदियों रावी, व्यास और सतलुज भारत के हिस्से में आई है, लेकिन इनका पानी पाकिस्तान में जाता है।

गडकरी ने कहा कि इस पानी को भारत में ही रोककर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में पानी की किल्लत को दूर किया जाएगा। हरियाणा और राजस्थान में इस पानी को वहां के किसानों को दिया जाएगा। रावी,व्यास और सतलुज का पानी यमुना में लाया जाएगा,ताकि दिल्ली को पानी मिल सके। इसके लिए उत्तराखंड में तीन बांध बनाए जाएंगे। इस योजना पर अमल के बाद हरियाणा औैर राजस्थान के किसानों के पास पानी की कमी नहीं रहेगी। गडकरी की घोषणा के संबंध में कृषि मंत्री ओपी धनखड़ का कहना है कि केंद्रीय मंत्री की बात को एसवाईएल से जोड़ना ठीक नहीं है।hin news 11264654 Nitin Gadkari 9 पाक जाने वाले पानी को रोकेगी सरकार, इन तीन राज्यों को दिया जाएगा

गडकरी की पूरी योजना अभी कांसेप्ट स्तर पर है। इसके निर्माण में मान लिया जाए कि 10 वर्ष लगेंगे तो हरियाणा सरकार एसवाईएल को शुरू करने के लिए इतना वक्त नहीं रुक सकती। सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलते ही हरियाणा सरकार एसवाईएल पर तुरंत काम शुरू कर देगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। यह जरूर है कि नई योजना के शुरू होने पर हरियाणा को अतिरिक्त पानी मिलेगा। गौरतलब है कि वर्ल्ड बैंक की मध्यस्था में भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था। 19 सितंबर 1960 को कराची में दोनों राष्ट्रप्रमुखों ने इसपर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत सिंधु, जेहलम और चिनाब का सारा पानी पाकिस्तान को जाएगा और सतलुज, व्यास व रावी का सारा पानी भारत को मिलेगा।

पाकिस्तान को दस साल की छूट देते हुए भारत को 1970 से अपने हिस्से आई नदियों का सारा पानी पाकिस्तान जाने से रोककर खुद इस्तेमाल करना था। इसी पर अमल करते हुए भारत ने अपनी नदियों को आपस में लिंक करने की योजना बनाई। रावी को व्यास से जोड़ा जाना था। व्यास को सतुलज से टनल के जरिये जोड़ा गया। सतलुज को यमुना से जोड़ कर पानी देश के सूखे हिस्सों राजस्थान और हरियाणा को देना था। सतलुज से यमुना को जोड़ने के लिए एसवाईएल नहर के निर्माण की योजना बनी। मगर पंजाब ने इसका विरोध कर दिया। 8 अप्रैल 1982 को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच संशोधित समझौते के मुताबिक पंजाब का पानी का शेयर 4.22 एमएएफ बढ़ा दिया गया।

 

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