वॉशिंगटन। साल 2008 में ओबामा सरकार के कार्यकाल में आर्थिक संकट झेल चुके अमेरिका पर एक बार फिर ये संकट गहराने लगा है। दरअसल अमेरिका की संघीय सरकार को आर्थिक मंजूरी प्रदान करने वाले विधेयक को पारित करवाने में कांग्रेस नाकाम रही है, जिसके चलते अमेरिका में एक बार फिर शटडाउन शुरू हो गया है। इस तरह से शटडाउन होना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप के लिए तगड़ा झटका है। अगर शटडाउन हो जाता है तो अमेरिका में सरकारी काम पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा, जिसके चलते एक बार फिर देश में बेरोजगारी का स्तर बढ़ जाएगा। हालांकि इस शटडाउन को टालने के लिए अमेरिकी सरकार पूरी कोशिश कर रही है।
बता दें कि अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने तो गुरुवार रात इसे पारित कर दिया, लेकिन ऊपरी सदन सीनेट में इसे कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में सीनेटर्स ने सरकारी फंडिंग को बढ़ाने वाले विधेयक को पास होने से रोक दिया। बिल को पास कराने के लिए 100 में से 60 सदस्यों की मंजूरी की जरुरत होती है, लेकिन इसमें 50 सदस्यों ने ही अपना भरोसा दिखाया। इसका पीछे का कारण सत्ताधारी रिपब्लिकन और विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी के बीच आखिरी वक्त में असफल हुई बातचीत को माना जा रहा है।
अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक ज्यादातर डेमोक्रेट्स इस बिल के विरोध में थे। इमीग्रेशन के मसले पर डेमोक्रेट पार्टी की मांग थी कि करीब सात लाख “ड्रीमर्स” को निर्वासन से बचाया जाए। “ड्रीमर्स” उन लोगों को कहा जाता है जो बच्चों की तरह मैक्सिको और मध्य एशिया से अमेरिका आए थे और तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें अस्थायी कानूनी दर्जा प्रदान किया था, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ड्रेमोक्रेट्स की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं थे। इस पर ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि सीनेट से पारित कराने के लिए डेमोक्रेट की जरूरत है, लेकिन वे गैरकानूनी इमीग्रेशन और कमजोर सीमाएं चाहते हैं।
हालांकि सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक आसानी से पारित हो गया, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत होने के बावजूद इसे पारित कराने के लिए विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी के समर्थन की दरकार थी, जिसकी वजह ये है कि रिपब्लिकन पार्टी के तीन सीनेटर इस बिल के विरोध में हैं जबकि एक सीनेटर कैंसर के इलाज के लिए अपने घर ऐरीजोना में हैं। बता दें कि जब भी शटडाउन होता है तो हजारों “गैर-जरूरी” संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है, सिर्फ लोगों की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे “जरूरी” कर्मी ही कार्यरत रहते हैं।