लखनऊ। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करती है। मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता में कलकत्ता उच्च न्यायालय की 5-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल चुनाव के पश्चात हुई हिंसा मामले में जो फैसला सुनाया है वह न्याय की ओर एक बड़ी पहल है।
एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट के अनुसार उन सभी मामलों में जहां हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं उन्हें जांच के लिए सीबीआई को भेजा जाना है। इसके अलावा अन्य मामलों के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया जाएगा जिसकी निगरानी एक उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी। सभी आवश्यक दस्तावेज, ऑटोप्सी रिपोर्ट क्रमशः सीबीआई और एसआईटी को सौंपी जाएगी। अदालत ने पश्चिम बंगाल राज्य को अपराध के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, चुनाव के बाद की हिंसा का मामला सीबीआई को सौंपना एक बहुत ही आवश्यक कदम था। हमें उम्मीद है कि सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच करने के बाद सभी अपराधों के अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके अलावा, चुनाव के बाद की हिंसा के समय जीवन और संपत्ति की भी हानि हुई है और मुआवजे का मुद्दा अनसुलझा रहा। कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मुआवजे की नीति स्वागत योग्य है। हम संवेदना व्यक्त करते हैं उन सभी परिवारों को जिन्होंने इस क्रूर हिंसा में अपने परिजनों को खो दिया है और उन सभी परिवारों के साथ खड़े होने का संकल्प लेते हैं जिन्हें अपने प्राणों की रक्षा के लिए राज्य छोड़कर जाना पडा।