चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान अपने मेनिफेस्टो के जरिये मतदाताओं से किए वादों को लेकर राज्य के विपक्षी दल आए दिन सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। कई बार कांग्रेस के ही विधायक भी अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करते रहे हैं। फिर भी ऐसा पहली बार हुआ है कि विधानसभा द्वारा गठित कमेटी ने भी राज्य सरकार के कामकाज पर उंगली उठाते हुई अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सरकार जनता से किए चुनावी वादे पूरे करे।
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी श्रेणियों के कल्याण के लिए गठित पंजाब विधानसभा की कमेटी ने हाल ही में विधानसभा में पेश की 2019-20 की रिपोर्ट में सरकार से चुनाव वादे पूरे करने की सिफारिश की है। कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि चुनाव मैनिफेस्टो में किए वादे के अनुसार विधवा, बुढ़ापा पेंशन को भी 750 रुपये महीना से बढ़ाकर 1500 रुपये किया जाए। इसके साथ ही कमेटी ने यह सिफारिश भी की है कि आशीर्वाद स्कीम के तहत मिलने वाली 21000 रुपये की राशि को चुनाव मैनिफेस्टो में किए वादे के अनुसार बढ़ाकर 51000 रुपये किया जाए।
कमेटी ने यह भी सिफारिश की है कि पंजाब के शैक्षिक संस्थानों, तकनीकी व मेडिकल कालेजों और डिग्री कालेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को मिलने वाली प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम की राशि को भी समय पर जारी किया जाए ताकि विद्यार्थियों को दाखिला, रोल नंबर और सर्टिफिकेट लेने में देरी न हो। दरअसल, विधानसभा की उक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले राजस्थान का दौरा करके, वहां एससी-एसटी के लिए जारी पंजाब से मिलती-जुलती स्कीमों का अध्ययन किया।
कमेटी राजस्थान में आरक्षित वर्ग को दी जा रही सुविधाओं से काफी प्रभावित हुई, जिसकी झलक उसके द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में भी दिखाई देती है। कमेटी ने कई मामलों में पंजाब सरकार से राजस्थान पैटर्न अपनाने की सलाह भी अपनी सिफारिशों के तहत दी है। कमेटी ने सिफारिश की है कि राजस्थान की तर्ज पर शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाते हुए पंजाब के प्रत्येक बड़े गांव में एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोला जाए। कमेटी ने यह भी कहा है कि राजस्थान की तर्ज पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत पंजाब के बड़े शहरों में वेस्ट मैनेजमेंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएं, जिसे गरीबों को रोजगार भी मिलेगा।