जयंती विशेषःसिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की जयंती को पूरे भारत के अलावा विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक जी के जन्मदिन को उनके अनुयायी बड़ी ही श्रृद्धा के साथ उनकी जयंती के रूप में मनाते हैं। मालूम हो कि नानक सिख धर्म के पहले गुरु थे। उनकी जयंती का ये पर्व गुरु पर्व के नाम से भी माना जाता है।आज यानी की 23 नवंबर को नानक जी की जयंती है। आइए जानते हैं उनके कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में..
नानक का जन्म स्थान
गौरतलब है कि 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर जन्में गुरु नानक का जन्मदिन हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन होता है। इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है। बता दें कि गुरु पर्व सिखों के सबसे महत्वपू्र्ण पर्वों में से एक है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे गुरू नानक देव की शिक्षाएं पढ़ी जाती हैं। गुरु नानक जी से संबंधित कुछ खास गुरुद्वारा साहिब के संबंध में आगे जानकारी दी गई है।
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नानक से संबंधित प्रमुख गुरूद्वारे..
गुरु नानक जयंती पर प्रमुख गुरुद्वारा साहिब बटाला के गुरुदासपुर में स्थित गुरुद्वारा कंध साहिब प्रमुख है। कंध साहिब में गुरु नानक की विवाह वर्षगांठ पर हर साल उत्सव का आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारा गुरु का बाग कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में स्थित है। माना जाता है कि यह नानक देव जी का घर था। इसी घर में उनके दो बेटों का जन्म हुआ था। इन दोनों का नाम श्रीचंद और बाबा लक्ष्मीदास नाम था।
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गुरुनानक जयंती में इस गुरुद्वारे का भी काफी महत्व है।कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में ही स्थित इस गुरुद्वारे के बारे में कहा है कि नवाब दौलतखान लोधी ने कोई आशंका के चलते नानकदेव जी को जेल भेज दिया था। कुछ दिनों बाद दौलतखान लोधी को अपनी गलती का अहसास हो गया। इसके बाद उन्होंने फौरन गुरु नानक देवजी से माफी मांगी थी।
गुरुदासपुर में स्थित इसके बारे में मान्यता है कि नानकदेव जी ने रावी नदी के समीप डेरा जमाया था। उनकी उम्र जब 70 वर्ष हो गई तो उन्होंने 1539 ई. में परम ज्योति में विलीन हो गए। इस वजह से सिख और गुरु नानक देव जी के भक्तों के बीच डेरे की काफी मान्यता है।गुरुनानक ने बहनोई जैराम के माध्यम से सुल्तानपुर के नवाब के यहां शाही भंडार के देखरेख की नौकरी प्रारंभ की। वे यहां पर मोदी बना दिए गए।
नवाब युवा नानक से काफी प्रभावित थे। यहीं से नानक को ‘तेरा’ शब्द के माध्यम से अपनी मंजिल का आभास हुआ था।अपनी यात्राओं के दौरान नानक देव यहां रुके और नाथपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद हुआ। योगी सभी प्रकार से परास्त होने पर जादुई प्रदर्शन करने लगे। नानक देवजी ने उन्हें बताया कि ईश्वर तक प्रेम के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है।