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बसंत का आगमन बांके बिहारी के मंदिर से हुई ब्रज में रंगों की शुरुआत

बसंत बसंत का आगमन बांके बिहारी के मंदिर से हुई ब्रज में रंगों की शुरुआत

मथुरा: वसंत पंचमी के अवसर पर बृहस्पतिवार को वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पित किए जाने के साथ ही ब्रज में पचास दिन के चलने वाले होली महोत्सव की शुरुआत हो गई है। सदियों से चली आ रही परंपरानुसार ब्रजमण्डल के सभी मंदिरों में बृहस्पतिवार को वासंती परिधान में सजे-संवरे ठाकुर को अर्पण कर भक्तों के ऊपर प्रसाद के रूप में अबीर-गुलाल फेंका गया। इसी के साथ अब होली फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होली जलाए जाने तक) प्रतिदिन होली खेली जाएगी।

बता दें कि इस अवसर पर आज से ही मंदिर प्रांगण में व होली जलाए जाने वाले चैराहों होली का डांढ़ा (लकड़ी का एक टुकड़ा) गाड़ा गया। ‘‘ब्रज में वसंत पंचमी से 50 दिवसीय फाग महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत प्रतिदिन शाम को ठाकुरजी को होली के फाग महोत्सव के पद और रसिया सुनाएंगे।

वहीं वसंत पंचमी पर वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध ठा. बांकेबिहारी मंदिर में ऋतुराज वसंत के आगमन की खुशी में श्रृंगार आरती के पश्चात मंदिर के सेवायतों ने चांदी के पांच थालों में हरा, लाल, वसंती, गुलाबी और पीले रंग का गुलाल भक्तों पर डाला। इस मौके पर देश-विदेश से हजारों भक्त अपने आराध्य के साथ होली खेलने के लिए पहुंचे। ठाकुर बांकेबिहारी का प्रसाद रूपी अबीर-गुलाल भक्तों पर पड़ा तो सभी भक्त उल्लास से भर उठे। आज ही मंदिर की चोटी पर होली का ध्वज लगा दिया गया।

साथ ही रंगभरनी एकादशी के दिन से ठा. बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेली जाती है। ये रंग शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाता। बल्कि, अनेक शास्त्रोक्त औषधियों के मिश्रण से बना यह रंग त्वचा को कांति पहुंचाता है। इसीलिए, अन्य मंदिरों में भी होली खेलने के लिए टेसू के रंगों का प्रयोग किया जाता है।

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