- भारत खबर || नई दिल्ली
गरीबों और वंचितों की सहायता के लिए अपने हर सार्थक कदम उठाने वाली मदर टेरेसा का नाम आज संपूर्ण विश्व में पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। गौरतलब है कि मदर टेरेसा अपने परिचय की मोहताज नहीं । उन्होंने विश्व में में गरीबों के लिए वंचितों के लिए असहाय बच्चों के लिए उनकी सहायता करने हेतु हर ऐसे सार्थक कदम उठाए हैं। जिनका अंदाजा लगाना भी बहुत कठिन बात है।
बताते चलें कि मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना कर विश्व भर में गरीबों के लिए वंचित व असहाय बच्चों के लिए बेहद सार्थक प्रयास किए।
आज के दिन 7 अक्टूबर 1950 में ही मदर टेरेसा को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना करने की अनुमति मिली थी। जिसकी शुरुआत उन्होंने कोलकाता से की थी। बताते चलें कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना करते समय उनकी संस्था में मात्र 13 सदस्य थे। लेकिन मदर टेरेसा ने असहाय बच्चों के लिए जो सार्थक कदम उठाए हैं। उनके कार्य को देखते हुए लोगों का रुझान उनकी संस्था की ओर बढ़ा और अधिकांश मात्रा में लोग उनकी संस्था से असहाय लोगों की सहायता के लिए जुड़ते चले गए।
मदर टेरेसा के कार्य करने के जज्बे को देखकर आज विश्व भर में हजारों संस्थान, अनाथालय, धर्मार्थ चिकित्सालय, व विद्यालय आज भी वंचितों व गरीबों की सेवा में तत्पर हैं। इतिहास आज भी मदर टेरेसा के साहसी जीवन को बार-बार दोहराता है। इतिहास के पन्नों में आज भी मदर टेरेसा का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है। जिनके जीवन चरितार्थ को पढ़कर प्रत्येक व्यक्ति गौरवान्वित महसूस करता है। गौरतलब है कि 1586 में मुगल बादशाह अकबर ने अपनी सेना के साथ कश्मीर में प्रवेश किया था। चक वंश के शासक युसुफ शाह चक के आत्मसमर्पण के कारण कश्मीर पर मुगलों ने अपना कब्जा जमा लिया था। इसी के साथ-साथ 1708 में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी पर अफगानिस्तान के गुल खान ने चाकू से हमला कर उनकी हत्या की थी।
इसी के साथ साथ अन्य सभी घटनाओं के चलते मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। जिसमें उन्होंने इस संस्था का पहला केंद्र कोलकाता में खोला था। इस संस्था के द्वारा उन्होंने असंख्य असहाय वंचितों व गरीबों के लिए अनाथालय, चिकित्सालय, विद्यालय आदि खुलवाए। मदर टेरेसा का यह गौरवशाली इतिहास सदा अमर रहेगा।