कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार को शपथ लिए अभी महीना भी पूरा नहीं हो पाया है, लेकिन दरार अभी से आने लगी है। खबर के अनुसार जेडीएस और कांग्रेस दलों में चेयरमैन पद को लेकर के बीच तनाव शुरू हो गया है।
विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था
गौरतलब है कि पिछले महीने राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था लेकिन राज्यपाल के विवेक से ढ़ाई दिन के लिए येदुरप्पा की सरकार बनी थी। बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था। बाद जेडीएस ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि एचडी कुमारस्वामी सरकार बने एक महीना भी नहीं हुआ, लेकिन दोनों के बीच फिर से तनातनी की खबरें आई हैं।
जेपी के बुजुर्ग नेता डीएच शंकरमूर्ति विधान परिषद के चेयरमैन पद पर बने हुए थे
जेडीएस का कहना है कि कांग्रेस ने विधानसभा में स्पीकर का पद पहले ही ले लिया है और अब उसकी ख्वाहिश विधान परिषद में चेयरमैन पद को भी हासिल करने की है। इस मुद्दे पर अभी एकराय नहीं बन सकी है, हालांकि इसको लेकर बातचीत जारी है। विधानसभा के ऊपरी सदन में चेयरमैन का पद आज (21 जून) खाली हो गया। यह पद अब तक बीजेपी के पास था। बीजेपी के बुजुर्ग नेता डीएच शंकरमूर्ति विधान परिषद के चेयरमैन पद पर बने हुए थे और आज उनका कार्यकाल समाप्त हो गया।
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ग्रेस की तरफ से एसआर पाटिल मैदान में ताल ठोक रहे हैं
शंकरमूर्ति के रिटायर होने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के बीच इस पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। जेडीएस का कहना है कि विधानपरिषद में अध्यक्ष का पद उसे चाहिए, जबकि ऐसी ही मांग कांग्रेस की ओर से भी की जा रही है। खास बात यह है कि इस पद के लिए दोनों सहयोगी दलों ने दावेदारी भी ठोक दी है।जेडीएस की ओर से एमएलसी बासवराज होराटी को उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं कांग्रेस की तरफ से एसआर पाटिल मैदान में ताल ठोक रहे हैं। हालांकि जेडीएस इस पद के लिए आपस में ही उलझने से बचने की जुगत में जुटा हुआ है।
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कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण से पहले मंत्रिमंडल को लेकर दोनों दलों में खूब खींचतान चली
आपको बता दें कि इससे पहले कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण से पहले मंत्रिमंडल को लेकर दोनों दलों में खूब खींचतान चली, जिस कारण मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी हुई। इसके बाद विभागों के बंटवारे को लेकर भी विवाद बना रहा। कैबिनेट के शामिल 25 विधायकों में से जेडीएस के नौ और कांग्रेस के 14 विधायक शामिल हुए। जबकि मायावती की पार्टी बसपा के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय को भी कैबिनेट में जगह मिली है।