नई दिल्ली। रामनगरी अयोध्या समेत देश के सभी धार्मिक स्थलों ट्रस्टों पर अब आयकर विभाग की सीधी नजर है। जिसको लेकर उसने एक फरमान भी जारी किया है। पीएम मोदी के 8 नवम्बर को नोट बंदी के फैसले के बाद एकाएक मंदिरों और उनसे जुड़े धार्मिक ट्रस्टों की सम्पतियों और एकाउंटों में जमा होने वाले कैश पर आयकर विभाग की नजर जा पड़ी है।इसके बाद से अब धर्म की कमाई करने वाले साधु-संत भी आयकर विभाग के सिकंजे में आ सकते हैं। इस मामले में इनकम टैक्स कमिश्नर विजय कुमार ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि हमने सभी मंदिरों और उनसे जुड़े ट्रस्टों को नोटिस भेजा है, जिसके अगर उनकी बेलेंस सीट में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।
वहीं इस मामले में सूत्रों के हवाले से खबर है कि अयोध्या राज परिवार से जुड़े एक धार्मिक ट्रस्ट को इस मामले में अपने मिले दानों का व्यौरा विभाग के सामने पेश करने का नोटिस मिला है। हांलाकि राज परिवार ने इस मामले में कोई बयान नहीं जारी किया है। लेकिन अगर राजपरिवार एक धार्मिक ट्रस्ट को इस तरह का कोई नोटिस प्राप्त हुआ है। तो साफ है कि अयोध्या के कई मंदिर अब आयकरविभाग की जद में जल्द ही आ सकते हैं।इस मामले पर जब हमने वहां एक समाज सेवी कामलाकान्त सुन्दरम से जानकारी लेनी चाही तो उनका कहना था। फिलहाल इस बात में कोई पुख्ता सच्चाई नहीं है। मंदिरों में भक्तों को आवागमन से चढ़ावा चढ़ता है। चूंकि मंदिरों में गुप्त दान की प्रक्रिया होती है।ऐसे में यह पेठी साल में एक बार खोली जाती है। जिसके बाद एक यह रकम बैंकों में मंदिर के खातों में जमा होती है। अब नोट बंदी पर इन पेटियों से निकले वाले रूपये में 1000 और 500 के नोट भी हैं ऐसे में इन नोटों को मंदिर के ओर से बैंकों में जमा किया जा रहा है। रामनगरी अयोध्या में मौजूदा समय में जो ट्रस्ट या मंदिर हैं उनके खाते यहां के डाकघर से लेकर बैंकों में मौजूद हैं और ये सभी अपने खातों में जमा राशि पर अपना टैक्स अदा करते हैं।
इसके साथ ही यहां स्थिति मंदिर नगर पालिका, जलकल और विकास प्राधिकरण से निर्धारित करों का भी भुगतान करते हैं। धार्मिक नगरी के बाद भी यहां के मंदिरों को इन करों से कोई राहत नहीं मिलती इसके साथ ही अब इस तरह मंदिरों पर इस तरह की कार्रवाई से लोगों में रोष जरूर बढेगा।
वहीं इस मामले में रामनगरी के ही विश्व प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी के पुजारी राजीव दास से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि इस बारे में अभी तक कोई नोटिस की सूचना नहीं मिली है। लेकिन आयकर विभाग अगर मंदिरों में चढ़ने वाले दान के विषय में जांच करेगा तो हम पूरा जबाब देंगे। यह दान मंदिर में उसकी आय नहीं होता बल्कि सेवा होती है जो कि भक्त द्वारा की जाती है। ऐसे में इसे आय के रूप में नहीं देखा जा सकता। अगर आयकर विभाग इस तरह का कोई नोटिस जारी करता है तो इसका जबाब दिया जायेगा।
क्योंकि मंदिरों की कोई आय नहीं होती यहां पर सेवा होती है। साथ ही मंदिरों की सेवा में मिलने वाला दान मंदिर से जुड़े कार्यों में ही खर्च किया जाता है। संत के पास तो कोई परिवार होता ही नहीं वो तो जगत के कल्याण की बात करता है। उसे बैंक बैलेन्स से क्या मतलब।
मंदिरों को मिलने वाले नोटिस और आय को लेकर जब सीए राजीव शर्मा जी से हमें जानना चाहा तो उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि यह फैसले बड़े मंदिरों और ट्रस्टों के लिए किया गया है। जब बीते 8 नवम्बर को नोट बंदी के बाद मंदिरों में एकाएक 500 और 1000 के नोटों की आमद बढ़ी तो सरकार ने कालेधन को सफेद करने की कोशिश में लगे लोगों पर नकेल कसने के लिए ये फैसला लिया है। क्योंकि मंदिरों पर आय से जुड़ा कोई कर नहीं लगाया जाता है।
ऐसे में उन मंदिरों की जांच की जायेगी जिनकी बैलेन्स सीट 8 नवम्बर के बाद बढ़ गई है, या फिर उसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी है। क्योंकि मंदिर से जुड़े ट्रस्ट इस मामले में अक्सर कालाधन सफेद करने को लेकर चर्चा में रहते हैं।
वैसे मंदिर की आय को लेकर कई बार तरह-तरह के विवाद आते रहे हैं। कई बार चैनलों पर कालाधन सफेद करने के स्टिंग भी आये कई बड़े नामों का जिक्र भी हुआ। लेकिन कभी इस तरह कार्रवाई को लेकर विभाग सक्रिय नहीं हुआ था। लेकिन इस बार मोदी की कालेधन को लेकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने जहां भक्तों को बेहाल किया है तो अब भगवान से भी सवाल पूछे हैं। आखिर कहां से आई है ये आय, कहां से और कैसे बना है, महलों से भव्य मंदिर, कैसे चलते हैं लाखों लोगों के भोजन के लंगर आखिर अब भगवान भी आयकर विभाग के घेरे में आ ही गये।
(अजस्रपीयूष)