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एफआईआर दर्ज होने के बावजूद तेजस्वी यादव नहीं देंगे उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

teej एफआईआर दर्ज होने के बावजूद तेजस्वी यादव नहीं देंगे उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

पटना। बिहार की सत्तारूढ़ महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दिनों रेलवे के दो होटलों के टेंडर में हुई हेराफेरी के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की राजद अध्यक्ष एवं पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के पटना समेत 12 ठिकानों पर दो दिन पूर्व की गयी छापेमारी के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। विपक्षी दल भाजपा ने राज्य के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा मांगा था, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे मसले पर खामोश हैं। बदलते घटनाक्रम के बीच सोमवार को यहां राष्ट्रीय जनता दल की अहम बैठक में तय किया गया कि तेजस्वी अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पद से इस्तीफा नहीं देंगे।

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बता दें कि छापेमारी से बिहार में बढ़े राजनीतिक तापमान के बीच राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की अध्यक्षता में विधानमंडल दल की लालू- राबड़ी के राजधानी पटना स्थित सरकारी आवास पर सोमवार पटना में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में शामिल विधायक और अन्य प्रमुख नेता तेजस्वी यादव के प्रति एक जुट दिखे। सोमवार की सुबह शुरू हुई बैठक में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ रेलवे के दो होटलों के टेंडर में हुई हेराफेरी और अवैध रूप से बेनामी सम्पत्ति अर्जित करने के मामलों में सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स की छापेमारी से उत्पन्न राजनीतिक हालात पर चर्चा जारी है। बैठक में राजद आगे की रणनीति पर चर्चा के साथ – साथ महागठबंधन को किस तरह बचाए रखना है इस पर भी मंथन चल रहा है। पार्टी की 27 अगस्त को पटना में होने वाली भाजपा हटाओ देश बचाव रैली पर भी चर्चा जारी है।

वहीं बैठक में शामिल होने से पूर्व राजद के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे, विधायक भोला यादव तथा अन्य नेताओं ने विपक्ष की ओर से तेजस्वी प्रसाद यादव के इस्तीफे की मांग को एक सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि, लालू यादव के 12 ठिकानों पर शुक्रवार को हुई सीबीआई की छापेमारी के कारण राजद के अंदर भी राजनीतिक तापमान काफी गर्म है। इस बीच महागठबंधन के घटक कांग्रेस के नेता शकील अहमद तथा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने भी तेजस्वी प्रसाद यादव का समर्थन किया है। जबकि मुख्यमंत्री तथा जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार पूरे मामले पर अभी भी चुप्पी साधे हैं। स्थितियों की समीक्षा करने के लिए उन्होंने मंगलवार को अलग से अपने दल की पटना में बैठक बुलाई है।

साथ ही इस बीच स्वास्थ्य खराब होने के कारण नीतीश कुमार का सोमवार को होने वाला लोक संवाद कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया गया है। खराब स्वास्थ्य के कारण राजगीर प्रवास पर गए नीतीश कुमार बीते रविवार को पटना वापस लौट आये। इधर तेजस्वी प्रसाद यादव के इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा ने अपनी मांग को जोरदार तरीके से दोहराया| लालू यादव के पूरे प्रकरण का खुलासा करने वाले भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव को बर्खास्त करने की अपनी मांग की दोहराते हुए राजद और जदयू के विधायकों से सीबीआई द्वारा बेनामी संपत्ति मामले में आरोपी बनाये गये उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफा दिलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि राजद विधयाकों को तेजस्वी यादव से इस्तीफा दिला कर पार्टी के वरीय सदस्य एवं वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी और ललित यादव में से किसी एक को उनकी जगह उप मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।

इतना ही नहीं मोदी ने जदयू विधायकों से भी बीते मंगलवार को पार्टी की होने वाली कोर कमेटी की बैठक में तेजस्वी यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बनाने को कहा। तेजस्वी यादव को पद पर बनाये रखने की राजद के निर्णय की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि चारा घोटाले में जेल जाने की नौबत आने पर लालू यादव ने उनके गिरफ्तार होने की स्थिति में खून की नदियां बहने की धमकी दी थी लेकिन उनकी गिरफ्तारी पर ऐसा कहीं कुछ भी नहीं हुआ। भाजपा नेता और विधान पार्षद विनोद नारायण झा ने कहा कि नोटबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रधानमंत्री से बेनामी सम्पत्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी और लालू परिवार की बेनामी सम्पत्ति के खुलासे पर सबूत होने पर केन्द्र को कार्रवाई करने की चुनौती भी दी थी। उन्होंने कहा कि गेंद अब नीतीश कुमार के पाले में है। अब वे अपना रुख बदल नहीं सकते।

वहीं इधर नीतीश कुमार के धुर विरोधी राजग के घटक, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को मौन तोड़ने की चुनौती देते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के मामले में नीतीश कुमार की चुप्पी अनुचित है। महागठबंधन का नेता होने के नाते नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव से इस्तीफा ले लेना चाहिए। मांझी ने कहा कि जब एक पुराने मामले में मुख्यमंत्री ने उनके मंत्री पद संभालने के मात्र चार घंटे के बाद ही इस्तीफा ले लिया था तो अब उप मुख्यमंत्री के मामले में वह चुप क्यों हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अपनी सुशासन बाबू की छवि को बचाने के लिए नीतीश कुमार को कोई स्पष्ट फैसला लेना चाहिए। उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार के मना करने पर जदयू के प्रवक्ताओं समेत पार्टी के सभी नेता बिहार के वर्तमान राजनीतिक हालात पर कुछ भी बयान देने से बच रहे हैं।

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