देहरादून। सूबे में शिक्षा को लेकर पहले की सरकारों के प्रयास और वर्तमान भाजपा सरकार के प्रयासों को देखा जाये तो कोई खास बात नजर नहीं आती है। चुनाव के दौरान कई बार सूबे में शिक्षा की बदहाली के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को कहा गया है, लेकिन वर्तमान समय में हालात बत्तर हो गए हैं। उत्तराखंड में टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम पर इससे 4 टेक्निकल कॉलेज सम्बध हैं। यहां पर देखा जाये तो इस 4 कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या 35000 है।
लेकिन सूबे में किसी सरकार का ध्यान अभी तक इस टेक्निकल यूनिवर्सिटी की खस्ता हालत पर नहीं पड़ा है। आईये हम बताते हैं यहां पर कोई ऐसा स्टॉफ नहीं है, जिसके सहारे ये विश्वविद्यालय चल सके। यानी यहां पर क्लर्कों को छोड़ दिया जाये तो अन्य स्टॉफ अभी तक परमानेंट होने के लिए तरस रहा है। इस यूनिवर्सिटी में 4 क्लर्कों को छोड़ कर कोई ना तो प्रोफेसर और ना ही कोई अधिकारी है। जो विश्वविद्यालय का शैक्षणिक काम और प्रशासनिक काम देख सके।
अब तक इस विश्वविद्यालय के उत्थान के लिए ना ही वर्तमान सरकार ने कोई मसौदा सामने रखा है। ना ही पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ किया है, केन्द्र सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय के पास भी इस विश्वविद्यालय को देने के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसे में अब ये यूनिवर्सिटी केवल सफेद हाथी तो साबित हो ही रही है। इसके साथ ही इससे जुड़े 4 टेक्निकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले 35 हजार बच्चों का भविष्य उज्जवल होने के बजाय अंधकार में होता जा रहा है।