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डाला में शोध करने पहुंची तीन सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम, जीवाश्म होने की बात आई सामने

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सोनभद्र से प्रवीण पटेल की रिपोर्ट

सोनभद्र। जनपद के डाला में तीन सदस्यीय वैज्ञानिकों की ‘जी’ टीम डाला के बाडी स्थित पहले से हुए खनन क्षेत्र में शोध करने पहुंची। वैज्ञानिकों की टीम ने डाला में जीवाश्म होने की सम्भावनाओ की तलाश करने पहुँची थी, जहाँ लगभग 174 करोड़ वर्ष पुराना जीवाश्म होने की बात सामने आई। इसके पहले विश्व का सबसे पुराना व सबसे बड़ा जीवाश्म सलखन में मिल चुका है। इसके बाद दूसरे नम्बर पर अमेरिका का जीवाश्म माना जाता है। बीएचयू से पीएचडी कर रहें दिव्या सिंह व प्रद्युमन सिंह को भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने शोध करने की दृष्टि से अनमोल धरोहर दिखाते हुए स्टोन लाइट जीवाश्म के सम्बंध में बताया। वही भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि डाला के बाडी स्थित पहाड़ियों में सलखन से भी पुराना जीवाश्म पाए गए। सलखन का फासिल्स लगभग 160 करोड़ वर्ष पुराना है, वही डाला बाडी में मिले जीवाश्म 2 मीटर की लेयर में लगभग 174 करोड़ वर्ष पूराने है।

अध्ययन करने के लिए जिले में जल्द ही भूवैज्ञानिकों की एक समिति बनाई जाएगी-

इसके अलावा जिले में शोध के लिए टीम ग्राम पंचायत कोटा के कोटा खास, ओबरा, चोपन, सलखन में देखते हुए अभी तक लगभग 45 पैकेट टेस्ट हेतु लखनऊ भेजने के लिए तैयार हो गया है। जिसमे शोध में आये दिव्या सिंह व प्रधुमन सिंह इस पर पीएचडी करेंगे व मैं शोध करते हुते शोध पत्र लिखूंगा। यहां पर तीन प्रकार के लेयर पाए जा रहे है। जिसका संरचनात्मक जांच किया जा रहा है। ये जीवाश्म उस समय के है जब पृथ्वी पर जीवन नही हुआ करता था, केवल वन ही वन पाए जाते थे। यहां आने के उद्देश्य में बताया कि इस पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होगा व प्रदेश सरकार को दिया जाएगा जिससे क्षेत्र को अच्छा बनाया जा सके, यहां के लोग इसे अच्छे से समझ सकें और कहां-कहां पर इस तरह का जीवाश्म है। इसका अध्ययन करने के लिए जिले में जल्द ही भूवैज्ञानिकों की एक समिति बनाई जाएगी। समिति में अधिकारी वर्ग, वैज्ञनिक वर्ग व पत्रकार भी रहेंगे। समिति के लोग जगह-जगह जांच भी करेंगे।

सनोज तिवारी ने वैज्ञानिक टीम को प्रकृति और उसके आयु के बारे में विस्तार से बताया-

इसके साथ ही भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा के नेतृत्व में आई शोध टीम जिले में 25 जनवरी से 3 फरवरी तक शोध किया। जिले में लगभग एक सप्ताह के दौरे पर आए भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि वर्ष 2000 से मैं सोनभद्र आया करता हूँ। ताकि शोध से पर्यावरण को भी नुकसान ना हो और प्राकृतिक संसाधनों का देश हित में उपयोग भी किया जा सके। कुछ अन्य स्थलों पर भी जीवाश्म होने का अनुमान है। इन्हीं सबका अध्ययन करने के लिए भूवैज्ञानिकों की शोध टीम काम कर रही है। वही लंबे समय से फासिल्स पर काम कर रहे लेखक ‘फासिल्स’ सनोज तिवारी ने वैज्ञानिक टीम को क्षेत्र में प्वाइंट पर जा करके दिखाया व प्रकृति और उसके आयु के बारे में विस्तार से बताया।

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