पटना । बिहार में अब शिक्षा को लेकर सरकार ने नकेल कसने की कवायद शुरू कर दी है। लगातार 2 सालों से बिहार बोर्ड का रिजल्ट संदेह के दायरे में आते आते बड़े घोटाले में बदल गया था। दोनों बार के टॉपर्स ने बिहार शिक्षा बोर्ड के नाम पर कलंक लगा दिया था। टॉपर्स मामले को लेकर बिहार की सरकार और शिक्षा बोर्ड दोनों पर सवालिया निशान लगा था। अब सरकार इस मामले में कई लोगों पर कार्रवाई कर चुकी है। लेकिन अब सरकार इस मामले में अब जीरो रिजल्ट देने वाले विद्यालयों पर भी कार्रवाई करने का मन बना चुकी है।
अब सरकार 50 साल से अधिक उम्र के शिक्षकों जिनका इंटर परीक्षा में रिजल्ट शून्य रहा है, उनको हटाने का मन बना चुकी है। अब उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जायेगी। इस मामले में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग को लेकर एक कड़ा प्रस्ताव बनाकर उसे कैबिनेट में मंजूरी दिला दी है। इस साल इंटर परीक्षा में जिन विद्यालयों का रिजल्ट शून्य रहा है। उन विद्यालयों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक कर मुख्यमंत्री नीतीश ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही सरकार की नजर में वो विद्यालय भी हैं। जिनका रिजल्ट 5 फीसदी या उससे कम है। लेकिन पहले चरण में केवल शून्य परीक्षा परिणाम वाले जिलों को ही चिन्हित किया है। इस समीक्षा बैठक में सीएम नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री केपी वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन शामिल थे। इस बैठक में लिए गये इस फैसले की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि विद्यालयों को चिन्हित कर लिया गया है। यहां पर मौजूद शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का काम एक माह के भीतर पूरा कर लिया जायेगा।