हरिद्वार। प्राचीन आरण्यक परंपरा के अनुसार संचालित यहां के देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए गंगा तट पर शिक्षक दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने डॉ. राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी शिक्षाओं को याद किया। छात्रों ने सभी आचार्यो को गुलदस्ता भेंटकर अपनी सद्भावना व्यक्त की, तो वहीं देसंविवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने सभी आचार्यो को अपने आचरण से शिक्षा देने की बात कही। मुख्य अतिथि कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि बीएचयू में कुलपति रहते हुए डॉ. राधाकृष्णन गीता की कक्षाओं के माध्यम से अपने विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला, जीवन का अनुशासन सिखाते थे। उसी का परिणाम था कि उनके विद्यार्थी श्रेष्ठतर कार्य कर पाए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो चुका है। शिक्षक अपनी वास्तविक भूमिका से विमुख हो चुके हैं। परिणामत: रोजगारपरक शिक्षा के पीछे अंधी दौड़ में जीवन विद्या लुप्त हो गई है। युवा वर्ग अपने आंतरिक प्रतिभा और सामथ्र्य को पहचानने में असमर्थ है। गंगा के पावन तट पर विद्यार्थियों ने लघु नाटिकाओं और नृत्य नाटिकाओं के माध्यम से प्राचीन गुरुओं की मार्मिक प्रस्तुतियों से सबको काफी प्रभावित किया। अंत में कुलाधिपति ने शिक्षकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर कुलपति शरद पारधी, प्रति कुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या सहित विश्वविद्यालय परिवार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल शर्मा ने किया।