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टीबी: सात महीने में मिले 2 लाख से अधिक मरीज, प्रिवेंट थेरेपी की होगी शुरूआत

dr surykant टीबी: सात महीने में मिले 2 लाख से अधिक मरीज, प्रिवेंट थेरेपी की होगी शुरूआत

लखनऊ। प्रदेश में स्वास्थ्य महकमे ने महज सात महीनों में टीबी के 2 लाख 54 हजार नये मरीजों की पहचान की है। जिसमें से 20 हजार मरीजों को तलाशा गया है। इस बात की जानकारी राजधानी के हजरतगंज स्थित एक निजी होटल में गुरूवार को आयोजित राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान स्टेट टीबी ऑफीसर डॉ. संतोष गुप्ता ने बतायी। उन्होंने बताया कि क्षय रोग ऐसी बीमारी है कि जो सदियों से हमारे बीच रही है। इसके उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार की तरफ से साल 2025 का समय निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि जो बीते डेढ़ साल का समय गुजरा,वह कठिनाईयों भरा रहा।

टीबी प्रिबेंट थेरेपी की होगी शुरूआत

डा संतोष गुप्ता ने बताया कि टीबी प्रिबेंट थेरेपी कार्यक्रम की शुरूआत जल्द ही की जायेगी। जिसके तहत ऐसे लोगों को खोजा जायेगा,जिसके अन्दर टीबी का संक्रमण फैलाने वाले वैक्टीरिया मौजूद हैं। इसके अलावा कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का कार्य भी शुरू किया जायेगा।

इस दौरान टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि साल 1993 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित किया था,उन्होंने बताया कि इस बीमारी से रोजाना 600 लोग संक्रमित होते हैं,वहीं रोजाना करीब 1000 लोग टीबी से अपनी जांन गवां देते हैं, यह चिंता का विषय है।

मास्क कोरोना से ही नहीं, टीबी से भी बचायेगा

डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि यदि टीबी से ग्रसित शख्स को खांसी आती है,तो एक बार में 3500 वैक्टीरिया बाहर निकलते हैं,ऐसे में मास्क लगाने से इस रोग की रोकथाम हो सकती है, इतना ही नहीं जिसको टीबी नहीं है,वह मास्क लगायेगा तो वह भी टीबी संक्रमण से बचा रहेगा, कुलमिलाकर उन्होंने कहा कि मास्क टीबी व कोरोना दोनों से बचायेगा।

इनको खतरा ज्यादा

डॉ सूर्यकांत बताते हैं कि जो लोग तंबाकू,सिगरेट,अफीम या किसी प्रकार का नशा करते हैं, उन्हें टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि धूल,धुआं,लड़कियों की कम उम्र में शादी, खून की कमी, कुपोषण आदि टीबी रोग होने के प्रमुख कारण हैं।

डॉ सूर्यकांत के मुताबिक कोरोना संक्रमण व टीबी का इलाज साथ-साथ हो सकता है। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया की टीबी के मरीज के साथ सामाजिक भेदभाव नहीं होना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान ने वहां मौजूद पत्रकारों को टीबी रोग पर जागरुकता के लिए समाचार लेखन तथा उसके विषय की जानकारी पर अपने विचार रखे,इस अवसर पर डारेक्टर नेशनल प्रोग्राम डा ज्योति सक्सेना ने टीबी के मरीजों की पहचान पर जोर देते हुये कहा कि टीबी के रोगियों को चिन्हित करना बहुत ही जरूरी है,तभी इस रोग की रोकथाम संभव है।

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