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2021 में जल्लीकट्टू खेल को अनुमति, शर्तों के साथ सरकार ने दिखाई हरि झंडी

file photo 1 2021 में जल्लीकट्टू खेल को अनुमति, शर्तों के साथ सरकार ने दिखाई हरि झंडी

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में सभी चीजें बंद हो गई थी. फिर अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीर कर सभी चीजों को खोला गया, लेकिन पांबदियों के साथ. इसी तरह से तमिलनाडु सरकार ने वार्षिक जल्लीकट्टू खेल के आयोजन को मंजूरी दे दी. सरकार ने बुधवार को आगामी वर्ष 2021 में कोरोना प्रतिबंधों के साथ बैलों को काबू में करने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू को आयोजित करने की अनुमति दे दी. सरकार का साफ तौर पर ये कहना है कि खेल को कोरोना वायरस के सभी नियमों की पालना के साथ ही आयोजित करना होगा.

इन नियमों का करना होगा पालन-
-प्रतिभागियों की संख्या 150 से 300 के बीच होनी चाहिए
-कोरोना निगेटिव का प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है
-दर्शकों की संख्या खेल के मैदान में बैठने की क्षमता से आधे से अधिक नहीं होनी चाहिए.
-सभी आगंतुकों को थर्मल स्कैनर के साथ जांचा जाएगा
-मास्क पहनना जरूरी
-सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी

कोरोना से पहले भी लग चुका है इस खेल पर बैन
आपको बता दें सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं इससे पहले भी जल्लीकट्टू खेल पर बैन लग चुका है. कोरोना के पहले साल 2011 में इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन बाद में 2016 में फिर से इसे अनुमति दे दी गई थी. जल्लीकट्टू खेल में हिस्सा लेने वाले लोग गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. इसी के चलते 2011 में इस खेल पर बैन लगाया गया था. उसके बाद कोरोना के कारण लॉकडाउन में सभी सामुहिक गतिविधियों पर बैन लगा दिया गया है. अब सरकार ने एक बार फिर से इस खेल के लिये अनुमति दी है, लेकिन कोरोना नियमों का पालन करना होगा.

क्या है जल्लीकट्टू?
जल्‍लीकट्टू तमिलनाडू के ग्रामीण इलाकों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है और जिसमें बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है. जल्लीकट्टू को तमिलनाडू के गौरव और संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है. ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पोंगल त्योहार पर जल्लीकट्टू का हर साल आयोजन किया जाता है और ये राज्य के गौरव और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है.

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