10 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद केंद्र सरकार सीमा पर सख्ताई दिखाने में लगी हुई है। आतंकी हमले के बाद बीजेपी अब कश्मीर के हालातों पर बातचीत नहीं होगी, अब बीजेपी सिर्फ आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है। अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद अब यह साफ हो गया है कि आंतकवादी किसी भी हद तक जा सकते हैं, इन पर लगाम लगाने की जरूरत है और लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। वही संबंधित मामले में विपक्षी नेताओं का कहना है कि मुद्दे को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि आतंकियों के खिलाफ बातचीत के माध्यम से मुद्दे को सुलझाया जाए लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आतंकियों के खिलाफ सिर्फ बातचीत पर ही निर्भर नहीं रह सकती है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को ऐसा लगता है कि आतंकियों के खिलाप अब सख्त कदम उठाने का वक्त आ गया है। गौरतलब करने वाली बात है कि पिछले साल मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत हो गई थी। उसके बाद से ही घाटी में हिंसा का दौर काफी बढ़ गया था। बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में लगातार आतंकियों ने माहौल खराब कर रखा है।
लेकिन सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि बीजेपी आतंकियों के खिलाफ अब सिर्फ बातचीत पर ही नहीं रह सकती है, अब आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बात की जाए तो अब किसी भी हाल में बातचीत नहीं की जाएगी और अलगाववादियों के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसे में एनआईए, आईटी और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां हुर्रियत नेताओं को मिल रही फंडिंग की जांच में जुटे हुए हैं। वही 10 जुलाई को हुए आतंकी हमले के बाद कई सारे सवाल उठाए जा रहे हैं कि पीडीपी के साथ गठबंधन देश के बाकी हिस्सों में बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।