नई दिल्ली। ताज महल पर मालिकाना हक के मामले पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका जिसके उसका ताजमहल पर मालिकाना हक साबित होता हो। हालांकि बोर्ड ने आज भी अपनी पुरानी बात को दोहराते हुए कहा कि ताजमहल पर उनका हक है। वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि ताजमहल का मालिक अल्लाह है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ को दे दी जाती है तो वह अल्लाह की संपत्ति बन जाती है। इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आप कोर्ट का समय खराब कर रहे हैं।
बता दें कि सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड ने कहा कि एएसआई ताजमहल की देखरेख करती है, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस पर मालिकाना हक वक्फ बोर्ड का ही है। वहां पर नमाज अता करने का अधिकार बरकरार रखा जाना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप इसके लिए एएसआई से बात करें। तब एएसआई ने कहा कि इस पर जवाब देने से पूर्व हमें सरकार से निर्देश प्राप्त करने होंगे। इसके लिए हमें समय दिया जाए। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को तय की जिस दिन मालिकाना हक के मामले पर अंतिम सुनवाई होगी।
वहीं पिछली सुनवाई के दौरान बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वक्फनामा शाहजहां द्वारा उनके नाम किया गया था। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए वे तो जेल में बंद थे। वह हिरासत से ही ताज महल देखते थे। भारत में कौन यकीन करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड का है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज दायर करने का निर्देश दिया था।
दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई,2005 में आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। एएसआई ने मुताबिक वक्फ बोर्ड के दावे के मुताबिक कोई वक्फनामा नहीं है। भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्ति ब्रिटेन की महारानी के पास चली गईं। वहीं 1948 के कानून के मुताबिक यह इमारतें भारत सरकार के पास हैं।