कोरोना के नए-नए खतरनाक वैरिएंट जिस तरह सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए अब वैज्ञानिक भी अलग-अलग वैक्सीन के मेल की जरूरत बता रहे हैं। जिससे बेहतर इम्यूनिटी मिले।
अलग-अलग टीके की डोज बेहतर
एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ का कहना है कि कोरोना की अलग-अलग किस्मों के खिलाफ अलग-अलग टीके की डोज बेहतर काम कर रही है।
‘बूस्टर डोज का ख्याल अभी नहीं लाना’
स्पेन, जर्मनी और यूके से मिली शुरुआती डेटा से पता चला है कि अलग-अलग कंपनियों के टीके की दो डोज लेने से ज्यादा बुखार, दर्द की शिकायत आ रही है। जो शरीर में ज्यादा इम्यूनिटी बनाने में का इशारा है। उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज का ख्याल अभी नहीं लाना चाहिए।
कनाडा में दी जा रही अलग-अलग डोज
कई यूरोपीय देशों और कनाडा में एस्ट्राजेनेका के बाद दूसरी डोज फाइजर की दी जा रही है। ऐसा ब्लड क्लॉटिंग के डर से वैक्सीन ना लगवा रहे लोगों को विकल्प देने के लिए किया गया था। हालांकि अब इसके फायदे सामने आ रहे हैं।
एस्ट्राजेनेका की डोज कारगर
स्पेन में हुई एक स्टडी में देखा गया कि फाइजर के टीके ने तब ज्यादा एंटीबॉडी बनाई जब पहली डोज एस्ट्राजेनेका की लगी थी।