नई दिल्ली। कृषि कानून को लेकर किसानों का देश की राजधानी दिल्ली में हल्ला बोल जारी है। कल विज्ञान भवन में हुई बैठक में किसानों ने सरकार के कमेटी बनाने की बात से इंकार कर दिया। जिसके बाद अब भी किसान दिल्ली में ही डटे हुए हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के सभी बॉर्डर को सील कर दिया गया है। इसी बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के जारी प्रदर्शन पर अब स्वदेशी जागरण मंच (SJM) की प्रतिक्रिया आई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र के कृषि कानूनों का समर्थन किया है, लेकिन किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कुछ बदलाव की बात कही है। मंडी सिस्टम पर उठ रहे सवालों पर SJM के अश्विनी महाजन ने कहा कि मंडी के बाहर बिक्री करना सही है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियां ऐसा कर किसानों को मुश्किल में डाल सकती हैं।
प्राइवेट सेक्टर किसानों के लिए मुश्किल- अश्विनी महाजन
बता दें कि स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन ने कहा कि किसानों को MSP पर भरोसा देने की जरूरत है। केंद्र का कानून अच्छा है लेकिन उसमें सुधार की गुंजाइश है। MSP को लेकर किसानों की जो मांग है उसपर अश्विनी महाजन ने कहा कि किसानों को इसपर भरोसा देना जरूरी है, सरकार कानून में बदलाव कर सकती है और नया कानून ला सकती है। मंडी सिस्टम पर उठ रहे सवालों पर SJM के अश्विनी महाजन ने कहा कि मंडी के बाहर बिक्री करना सही है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियां ऐसा कर किसानों को मुश्किल में डाल सकती हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसानों की भी यही मांग है। आंदोलनकारी किसान चाह रहे हैं कि सरकार MSP को कानून का हिस्सा बनाए और उससे कम दाम पर फसल खरीदने वाले पर एक्शन की बात कहे। किसानों का कहना है कि अगर मंडी के बाहर फसल बेची जाती है तो उसका भी कोई दाम या सुरक्षा होनी चाहिए। वरना बड़ी कंपनियां कुछ वक्त के लिए अधिक पैसा देंगी और बाद में दाम घटा देंगी, ऐसे में किसानों के पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।
MSP और मंडी सिस्टम को खत्म नहीं करेगी- केंद्र सरकार
वहीं केंद्र का कहना है कि सरकार MSP और मंडी सिस्टम को खत्म नहीं करेगी। किसानों के साथ हुई चर्चा में भी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल के सामने किसानों को MSP के मसले पर प्रेजेंटेशन दी गई। इसके अलावा कृषि कानून के अन्य फायदे गिनाए गए। हालांकि किसानों का कहना है कि वो MSP को कानून का हिस्सा बनाकर ही मानेंगे। केंद्र सरकार की ओर से किसानों के सामने एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था, जो नए कानून के बाद किसानों की दिक्कतों का समाधान करेगी। हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। बुधवार को किसान अपनी मांगों को लिखित में केंद्र के पास भेजेंगे। जिसके बाद गुरुवार को एक और दौर की बातचीत होगी।