नई दिल्ली। लगातार चीन की ओर पाकिस्तान को सहयोग दिए जाने के साथ पाकिस्तान के कई संगठनों पर प्रतिबंध के खिलाफ वोट करने को लेकर सुषमा स्वराज ने चीन पर भी यूएन में बिना नाम लिए बातों बातों में खरी-खरी सुना दी। सुषमा ने साफ कि मुंह में राम बगल में छूरी नहीं चलेगी। जो कथनी है उसे करनी में बदलना होगा। वैसे कश्मीर मुद्दे पर चीन ने पाकिस्तान को साफ तौर पर कह दिया है कि उसे भारत से खुद ही इस बारे में लड़ना या बात करना होगा चीन की ओर से पाकिस्तान का इस विषय में कोई सहयोग नहीं है।
हांलाकि चीन अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान में आर्थिक मदद के साथ सामरिक मदद करता है। जिसके चलते पाकिस्तान के मंसूबे काफी बढ़े हुए हैं। हाल में ही भारत और चीन के मध्य डोकलाम को लेकर विवाद और युद्ध जैसी स्थितियां बनी थी। तब चीन की ओर से कश्मीर को लेकर बयान आया था, कि वह पाकिस्तान की मदद के लिए भारत में कश्मीर के रास्ते आ सकता है। ऐसे हालात में तत्कालीन रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने चीन को साफ शब्दों में कड़ा जवाब देते हुए कहा था अगर कश्मीर को लेकर चीन ने को हिमाकत दिखाने की कोशिश की तो परिणाम बुरे होंगे।
अब यूएन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के ऊपर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने निजी हितों के लिए आतंकवाद का कुछ देते अप्रत्यक्ष तौर पर साथ दे रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर तो ये देश आंतकवाद का विरोध करते हैं, लेकिन अपने हितों के लिए आतंकवाद की मशीनरी बने देशों को मदद देते हैं। आतंकवाद निंदा से खत्म नहीं होता है इसके लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी। ये देश तेरा और मेरा आतंकवाद ने नाम पर इस मुद्दे से अलग नहीं हो सकते हैं। आतंकवाद का दुनियां में एख ही चेहरा है और एक ही परिभाषा है।