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IMF की व‌र्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की चौंकानी रिपोर्ट जारी हुई, जाने इसका भारत से क्‍या है लिंक

16 120 IMF की व‌र्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की चौंकानी रिपोर्ट जारी हुई, जाने इसका भारत से क्‍या है लिंक

नई दिल्‍ली । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की व‌र्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट चौंकानी वाली है। इस रिपोर्ट में दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आशंका जाहिर की गई है। तरह-तरह के ट्रेड बैरियर और भू-राजनीतिक चिंताओं के चलते ग्लोबल इकोनॉमी एक ‘सिंक्रोनाइज्ड स्लोडाउन’ के चक्र में फंसी है। आइए जानते हैं आखिर क्‍या है व‌र्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट। इसका भारत से क्‍या है लिंक।

बता दें कि आइएमएफ ने 2019 के लिए ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर का अनुमान घटाकर तीन फीसद कर दिया है। 2008 में आई मंदी के बाद से यह ग्लोबल इकोनॉमी की सबसे कम विकास दर होगी। इस मामले में भारत को भी लेकर सजग किया गया है। भारत के लिए राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसके राजस्व अनुमान आशावादी लग रहे हैं।

आइएमएफ ने भारत की विकास दर का अनुमान भी घटाया है। हालांकि वैश्विक परिस्थिति में भारत कम विकास दर के साथ भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.1 फीसद रखा गया है। इस साल अप्रैल में आइएमएफ ने 7.3 फीसद की विकास दर का अनुमान दिया था। जुलाई में इसे मामूली कम करते हुए विकास दर सात फीसद पर रहने का अनुमान जताया गया था। अच्छी खबर यह है कि आइएमएफ ने अगले साल भारत की विकास दर फिर सात फीसद रहने का अनुमान दिया है। इस दौरान चीन की विकास दर 5.8 फीसद रहने का अनुमान जताया गया है।

आइएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि 2017 के 3.8 फीसद की तुलना में ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर तीन फीसद पर पहुंचना चिंताजनक है। सिंक्रोनाइज्ड स्लोडाउन और अनिश्चित हालात के कारण ग्लोबल आउटलुक कमजोर है। तीन फीसद की विकास दर को देखते हुए नीति निर्माताओं के पास अनदेखी का कोई विकल्प नहीं है। सभी देशों के नीति निर्माताओं को मिलकर कारोबारी एवं अन्य राजनीतिक चिंताओं को दूर करना होगा। आइएमएफ ने 2020 में ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर 3.4 फीसद रहने का अनुमान जताया है। गोपीनाथ ने कहा कि इस गिरावट के पीछे कुछ कारण काम कर रहे हैं।

यह भी कहा गया है कि अगर अमेरिका और चीन 2018 की शुरुआत में एक-दूसरे पर लगाए गए शुल्क हटा दें, तो ग्लोबल इकोनॉमी में 2020 तक 0.8 फीसद की वृद्धि हो सकती है। दरअसल, ऊंचे शुल्क और व्यापार नीतियों पर लंबे समय से अनिश्चितता के माहौल ने निवेश को नुकसान पहुंचाया है। कैपिटल गुड्स की मांग पर भी इससे असर पड़ा है।

आइएमएफ ने चेताया है कि ब्रेक्जिट के कारण उपजे संकट और कई तरह के ट्रेड प्रतिबंध से सप्लाई चेन और कारोबारियों के भरोसे पर बुरा असर पड़ा है। गोपीनाथ ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे भी अब दिखने लगे हैं। अगर समय रहते नहीं निपटा गया, तो भविष्य में इनका भी व्यापक असर देखने को मिल सकता है।

आइएमएफ का कहना है कि दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर 2019 और 2020 में 1.7 फीसद पर रहने का अनुमान है। वहीं, विकासशील व उभरती अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर 2019 में 3.9 फीसद और 2020 में 4.6 फीसद रहने का अनुमान है। यूरो क्षेत्र की विकास दर इस साल 1.2 फीसद और अगले साल 1.4 फीसद रहने का अनुमान है। जर्मन इकोनॉमी की विकास दर मात्र आधा फीसद रहेगी। अमेरिका की अर्थव्यवस्था इस साल 2.1 फीसद और अगले साल 2.4 फीसद की दर से बढ़ने का अनुमान है।

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