अयोध्या। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट से फाइनल फैसला आए अभी एक हफ्ता ही बीता है। यह मामला अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार अर्जी दाखिल करने का फैसला किया है। लखनऊ में इस संबंध आज एक मीटिंग बुलाई गई है। हालांकि, मीटिंग शुरू होने से पहले ही विवाद हो गया है, जिस कारण मीटिंग की जगह बदल दी गई है।
बता दें कि यह मीटिंग लखनऊ के नदवा कॉलेज में रखी गई थी। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी समेत बाकी सदस्य मीटिंग के लिए यहां पहुंच गए थे। लेकिन अचानक मीटिंग की जगह बदलने का फैसला किया गया। अब यह मीटिंग नदवा कॉलेज की जगह मुमताज पीजी कॉलेज में रखी गई है।
बता दें कि लखनऊ और खासकर यहां नदवा कॉलेज में मीटिंग को लेकर सवाल उठ रहे थे कि आखिर यूनिवर्सिटी में इतना बड़ा सियासी फैसला लेने के लिए क्यों यह बैठक हो रही है। कई सदस्य इस बात पर भी आपत्ति जता रहे थे कि जब एक बार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ले लिया है तो फिर इस मीटिंग का औचित्य क्या है।
मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन पर होगी चर्चा
अयोध्या मसले पर आए कोर्ट के फैसले को लेकर आज यानी रविवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक है, जिसमें मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन लेनी है या नहीं इस पर चर्चा भी होगी। साथ ही इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का औपचारिक ऐलान हो सकता है।
रिव्यू पीटिशन के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्य एकमत नहीं हैं। मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा है कि एक बार फिर हिंदुस्तान को इस इम्तिहान में डालना वाजिब नहीं है। वहीं शनिवार की बैठक में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिस्सा नहीं लिया। दोनों ने ये भी साफ कर दिया कि वो अब इस मसले पर कोई रिव्यू पीटिशन दाखिल नहीं करेंगे। हालांकि इस मामले में एम आई सिद्दीकी समेत बाकी तीन पक्षकारों ने याचिका दायर करने को लेकर सहमति दे दी है।
ओवैसी ने 5 एकड़ जमीन लेने से किया इनकार
पुनर्विचार अर्जी के साथ रविवार की बैठक में इस बात का भी फैसला होगा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन को लिया जाए या नहीं। हालांकि AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जमीन लेने से पहले ही इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन की खैरात नहीं चाहिए। हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए।
बता दें कि कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा था कि वह फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हैं। बोर्ड फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है। इसी के मंथन के लिए 17 नवंबर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक होगी।