इंदौर। उज्जैन के बाबा महाकाल के शिवलिंग पर अब आरओं के पानी से जलाभिषेक होगा। दरअसल शिवंलिंग पानी और अन्य अभिषेक के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजों के कारण धीरे-धीरे छोटा हो रहा है,जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के आधार पर ये फैसला सुनाया है। वहीं इससे पहले एक्सपर्ट्स की एक कमेटी ने ज्योतिर्लिंग पर चढ़ने वाले पंचामृत की क्वांटिटी की जांच करवाने के लिए एक याचिका दायर हुई थी।
गौरतलब है कि बाबा महाकाल के शिवलिंग के घटते आकार को लेकर कोर्ट में बहुत पहले भी एक याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने महाकाल मंदिर का दौरा किया था। टीम ने यहां पर शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले पानी, फूल, दूध सहित सभी चीजों का एक सैंपल जांच के तौर पर लिया था। टीम ने जांच रिपोर्ट सौंपते हुए अभिषेक सामग्री की क्वाटिटी को लेकर सुझाव दिए थे।
इस रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि आज से महाकाल ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक आरओं के पानी से किया जाएगा। कोर्ट ने पानी की मात्रा को निर्धारित करते हुए कहा कि अब भक्त केवल आधा लीटर पानी ही शिवलिंग पर अर्पित कर सकेंगे। इसी के साथ कोर्ट ने दुग्धाभिषेक के लिए 1.25 लीटर की मात्रा निर्धारित की है। आपको बता दें कि उज्जैन के ज्योतिर्लिंग के क्षरण की बात पहले भी सामने आ चुकी है, लेकिन कमेटि की रिपोर्ट में पहली बार इस बात का खुलासा हुआ है कि अभिषेक से शिवलिंग की लंबाई घट रही है। इस मामले को लेकर मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु ने कहा कि पंचामृत से अभिषेक होता है, इसके बाद जलाभिषेक और भस्म आरती की जाती है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। भांग से श्रृंगार होता है।
आपको बता दें कि देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता। इनमें ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल हैं। यहां एक तय क्वांटिटी में पुजारी ही अभिषेक कर सकता है। बाकी 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है, लेकिन क्षरण न हो इसके लिए सावधानी भी बरती जा रही है।