नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ मुस्लिम धर्म में व्याप्त निकाह,हलाला और बहुविवाह असवैंधानिक है या नहीं इसको लेकर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने मामवे को संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया है। इसके अलावा निकाह हलाला, बुहविवाह को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के कहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ ऐप्लिकेशन एक्ट 1937 की धारा-2 को असवैंधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इसके जरिए बहुविवाह और निकाह हलाला को मान्यता दी गई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 22 अगस्त को एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। चीफ जस्टिस के सामने दलील दी गई कि 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दे को ओपन छोड़ा था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि निकाह हलाला और बहुविवाह की संवैधानिकता को परखने के लिए पांच जजों की संवैधानिक बेंच का नए सिरे से गठन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। साथ ही दिल्ली की दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई है।
दरअसल राजधानी दिल्ली में जसोला विहार की रहने वाली समीना बेगम की ओर से भी अर्जी दाखिल कर निकाह हलाला और बहु विवाह को चुनौती दी गई है। इनकी ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मुस्लिम पर्नसल लॉ ऐप्लिकेशन ऐक्ट 1937 की धारा-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है और यह संविधान के अनुच्छेद-14,15 और 21 का उल्लंघन करता है लिहाजा इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया जाए। याचिका में कहा गया कि वह खुद विक्टिम हैं। समीना के पति ने शादी के बाद उन्हें प्रताड़ित किया और दो बच्चे होने के बाद लेटर के जरिए तलाक दे दिया। उन्होंने फिर दूसरी शादी की लेकिन दूसरे पति ने भी तलाक दे दिया।