नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के एक वकील ने 500 और 1000 के नोटों के विमुद्रीकरण को एक बेरहम निर्णय करार देते हुए इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है। बता दें कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता संगम लाल पांडेय ने सरकार के फैसले को तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा था कि किसान और अस्पतालों में मरीज सहित समाज के विभिन्न वर्गो के लोग व्यावहारिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
सरकार के इस फैसले को खारिज करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि निजी अस्पताल, दवा की दुकानें और दिल्ली मेट्रो सहित सरकारी एवं निजी परिवहन 500 और 1000 के नोट लेने से इनकार कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि बहुत सारे लोगों ने अपने बेटे या बेटी की शादी के लिए बहुत अधिक रुपये निकालें हैं। वे अब संकट में हैं क्योंकि उनके पैसे का उपयोग उस मकसद के लिए नहीं किया जा सकता। नौ से ग्यारह नवंबर के बीच हजारों शादियां होनी हैं और वे सरकार के फैसले की वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं।
गौरलतब है कि याचिका की संभावना को देखते हुए सरकार ने भी कोर्ट में एक केवियट दाखिल किया है जिसके तहत कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले अदालत सरकार का पक्ष भी सुने। सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से बाजार में पैसा का संकट पैदा हो गया है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि 30 दिसंबर तक सब कुछ ठीत हो जाएगा। जानकार सरकार के इस फैसले की सरहाना कर रहे है तो विरोधी बुधवार से शुरु होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने का प्रयार कर रहे हैं।