उच्चतम न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका ‘दिवानी’ संख्या 30621/2011 में 17 मई, 2018 का आदेश पारित किया। जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि विशेष अनुमति याचिका की विचाराधीन ‘आरक्षित से आरक्षित’ और अनारक्षित से अनारक्षित’ तथा ज्ञान के आधार पर पदोन्नति के उद्देश्य के लिए भारत संघ के उठाए जाने वाले कदमों में आड़े नहीं आएगी’। विशेष अनुमति अपील ‘दिवानी’ संख्या 28306/2017 से जुड़ी विशेष अनुमति याचिका संख्या 31288/2017 से संबंधित मामले में 5 जून, 2018 को उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया।
मामले के विचाराधीन होने तक विधि के अनुसार प्रोन्नति करने से नहीं रोका गया है
बता दें कि ‘पक्षकारों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गई। अधिवक्ता एएसजी ने एसएलपी (सी) संख्या 30621/2011 में 17 मई, 2018 के आदेश का हवाला दिया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत संघ को अगले आदेश के अनुपालन और मामले के विचाराधीन होने तक विधि के अनुसार प्रोन्नति करने से नहीं रोका गया है।
वर्तमान चयन सूची पर उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त आदेश के अनुसार प्रोन्नति करने का अनुरोध किया है
17 मई, 2018 तथा 5 जून, 2018 के उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेशों के आधार पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने 15 जून,2018 को जारी ऑफिस मेमोरेन्डम नं0 36012/11/2016-ईएसटीटी (आरइएस-I) (पार्ट-II) के माध्यम से भारत सरकार के सभी मंत्रालयों से वर्तमान चयन सूची पर उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त आदेश के अनुसार प्रोन्नति करने का अनुरोध किया है।
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उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने की सलाह दी
राज्य सरकारों को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने की सलाह दी।यह जानकारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री ‘स्वतंत्र प्रभार’ कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेन्द्र सिंह ने 26 जुलाई को राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में दी।कहा जब तक मामला विचाराधीन है तब तक विधि के अनुसार प्रोन्नति करने से नहीं रोका गया है।