नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसों और उसके बाद आपस में दो कार चालकों की बहस को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सड़क हादसे में अक्सर गाड़ी को पीछे से टक्कर मारने वाले वाहन के ड्राइवर को ही दोषी माना जाता है, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हर बार ये बात सही हो। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना को लेकर उसके कारणों और सबूतों पर गौर किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सड़क हादसे के एक मामले को लेकर सुनाया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कि खंडपीठ ने टैंकर के पीछे से कार टकराने के मामले में कार ड्राइवर को लापरवाही का दोषी मानने संबंधी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने हादसे में मारे गए दंपती के बच्चों को मुआवजा देने का आदेश दिया है। दरअसल हरियाणा के यमुनानगर में नेशनल हाईवे पर 15 दिसंबर 2011 को कार सड़क पर खड़े टैंकर से टकरा गई थी, जिसमें ड्राइवर विनोद सैनी व पत्नी ममता की मौत हो गई थी और उनकी बेटा अर्चित व गौरी घायल हो गए थे। अर्चित की याचिका पर यमुनानगर स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने टैंकर का बीमा करने वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया था। कंपनी ने इसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी और हाईकोर्ट ने एक्सिडेंट के लिए टैंकर और कार के ड्राइवर को बराबर जिम्मेदार मानते हुए मुआवजा राशि आधी कर दी थी।