पटना। बाहुबली नेता शबाबुद्दीन की रिहाई को लेकर जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि शहाबुद्दीन को लेकर कोर्ट में दो लोगों ने याचिका दाखिल की थी जिनमें एक एसिड अटैक और गवाह हत्याकांड में तीन बेटों का गवां चुके सीवान के चंदा बाबू और दूसरी याचिका बिहार सरकार की ओर से दी गई है।
इस याचिका में शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर कई मुद्दो पर सवाल उठाया गया है। प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका में स्पष्ट किया गया है कि मुकदमा शुरू होने में देरी को आधार बना कर इस तरह के कुख्यात अपराधी को जमानत देना गलत था। हाई कोर्ट ने इस बात की पूरी तरह उपेक्षा की कि शहाबुद्दीन के ऊपर लगभग 40 मुकदमे लंबित हैं, इनमें से कई मुकदमे हत्या, अपहरण, रंगदारी, पुलिस अधिकारियों पर जानलेवा हमला करने जैसे मामलों से जुड़े हैं। दो भाईयों की हत्या का जुर्म साबित होने के बाद भी उसे जमानत मिलना सही नहीं था, हाई कोर्ट ने उसके 10 साल से भी ज्यादा समय से जेल में रहने को आधार बना कर जमानत दी थी। हाई कोर्ट ने इस बात को अनदेखा कर दिया कि उसके खिलाफ कत्ल के कई मुकदमे चल रहे हैं।
इसके साथ ही चंदा बाबू ने आरोप लगाया कि शहाबुद्दीन की रिहाई से उनकी जान को खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि उनके दो बेटों की हत्या से संबंधित मामले में राजद नेता को पहले सजा सुनाई जा चुकी है। साथ ही उन्होने सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की है कि वो हाई कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाए और शहाबुद्दीन को जेल भेजे। इससे पहले पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी हैं, उन्होंने बिहार में इंसाफ मिलने पर शक जताते हुए, अपने पति की हत्या से जुड़े मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है। बता दें, शहाबुद्दीन के जमानत पर रिहा होने के बाद से बिहार सरकार की लगातार आलोचना हो रही थी। सरकार पर शहाबुद्दीन पर क्रिमिनल कंट्रोल ऐक्ट लगाने का दबाव भी बनाया जा रहा था।