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छह हफ्ते में भ्रूण के लिंग की जांच संबंधी आपत्तियों का हल निकालें : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच के तरीकों की जानकारी इंटरनेट से हटाने की मांग करने वाली याचिका को निष्पादित कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश पर बनी नोडल एजेंसी को गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू और याचिकाकर्ता के साथ 6 हफ्ते में बैठक कर मामले का हल निकालने का निर्देश दिया है। पिछले 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता साबु मैथ्यु से पूछा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार द्वारा गठित नोडल एजेंसी कैसे प्रभावी तरीके से काम कर सकती है।

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बता दें कि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा था कि पिछले 18 से 26 फरवरी तक नोडल एजेंसी को सात शिकायतें मिलीं । ये सभी शिकायतें संबंधित वेबसाइट को भेज दी गईं । उन्होंने कहा कि सरकारी अफसरों द्वारा बहुतायत में इंटरनेट साइट्स पर भ्रूण के लिंग की जांच करने संबंधी आपत्तिजनक सामग्रियों पर नजर रखना काफी मुश्किल काम है। सुनवाई के दौरान माइक्रोसॉफ्ट ने कहा था कि उन्हें अभी तक इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। गूगल ने कहा था कि जब भी उन्हें इस तरह की शिकायतें मिलती हैं वे हटा दी जाती हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार द्वारा नोडल एजेंसी गठित करने के बावजूद गूगल और यूट्यूब पर ऐसे आपत्तिजनक विज्ञापनों की भरमार है। उन्होंने कहा था कि नोडल एजेंसी को स्वयं किसी शिकायत पर संज्ञान लेने का अधिकार भी नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि आपको कोर्ट की बजाय नोडल एजेंसी को शिकायत करनी चाहिए।

वहीं पिछले 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को निर्देश दिया था कि वे भ्रूण की जांच के लिए कीवर्ड को मानिटर करने और ऐसे शब्दों को हटाने के लिए आंतरिक कमेटी गठित करें। सुनवाई के दौरान गूगल ने कहा था कि वे विज्ञापन तो हटा सकते हैं लेकिन शब्दों को हटाना मुश्किल है। कोर्ट ने दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को भारतीय कानून के प्रति उत्तरदायी होने की बात कही थी। कोर्ट का कहना था कि जब दूसरे देशों में ये कीवर्ड्स बैन है तो भारत से क्यों नहीं हो सकता। गूगल की ओर से कहा गया था कि हम पहले ही काफी आपत्तिजनक सामग्री हटा चुके हैं। लेकिन गूगल के इस दावे पर आपत्ति जाहिर करते हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में ही अपने मोबाइल पर गूगल के इस दावे को झुठलाते हुए कुछ शब्द डाल कर सर्च रिजल्ट कोर्ट को दिखाया था और कहा था कि अभी तक गूगल और अन्य कंपनियां ने कुछ भी ठोस नहीं किया है।

साथ ही इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि देशभर में लिंगानुपात घट रहा है। कोर्ट ने कहा था कि हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि आप पैसे कमा रहे हैं कि नहीं। कोर्ट ने आदेश दिया था कि भ्रूण के ऑनलाइन लिंग निर्धारण की शिकायतों के निपटारे के लिए एक नोडल एजेंसी बनाया जाए। कोर्ट ने नोडल एजेंसी को निर्देश दिया कि शिकायत मिलने के 36 घंटे के भीतर कार्रवाई हो। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रूण का लिंग जांच करनेवाले ऑनलाइन कंटेंट और विज्ञापन को ब्लॉक करने का आदेश दिया था।

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