नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में गौ-रक्षा के नाम पर हुई भीड़ की हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि गौ-रक्षा के नाम पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य यह सुनिश्चित करे की इस तरह की घटना न हो।
हिंसा पीड़ित को धर्म या जाति से नहीं जोड़ा जाए
इस दौरान सीजेआई ने कहा कि भीड़ की हिंसा के शिकार बने पीड़ित को धर्म या जाति से नहीं जोड़ा जाए। पीड़ित पीड़ित होता है। साथ ही पीठ ने कहा, ”किसी को भी कानून की धज्जियां उड़ाने का अधिकारी नहीं है। इस तरह की घटना को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।”
गौ-रक्षा के नाम पर देशभर में हुई हिंसा के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर आज शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी की। मामले में सुप्रीम कोर्ट बाद में फैसला सुनाएगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन तीन राज्यों ने शीर्ष अदालत के छह सितंबर , 2017 के आदेशों का पालन नहीं किया है।
पिछले वर्ष हुई थी सुनवाई
शीर्ष अदालत ने पिछले साल छह सितंबर को सभी राज्यों से कहा था कि गौ-रक्षा के नाम पर हिंसा की रोकथाम के लिये कठोर कदम उठाये जायें। इसमें प्रत्येक जिले में एक सप्ताह के भीतर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाये और उन तत्वों के खिलाफ तत्परता से अंकुश लगाया जाये खुद के ही कानून होने जैसा व्यवहार करते हैं। इसके साथ शीर्ष अदालत ने राजस्थान , हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिये दायर याचिका पर इन राज्यों से जवाब भी मांगा था।