नई दिल्ली। सांसदों और विधायकों को जीवन भर पेंशन देने के प्रावधान के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग, लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव को नोटिस जारी किया है। जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा कि इस संबंध में कोई दिशानिर्देश होना चाहिए। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों ना इस प्रावधान को खत्म कर दिया जाए।
गौरतलब है कि लोकप्रहरी नामक एनजीओ द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व सांसदों और विधायकों को जीवन भर पेंशन दी जा रही है जबकि नियमों में यह शामिल नहीं है । याचिका में कहा गया है कि कोई व्यक्ति अगर एक दिन के लिए सांसद या विधायक बन जाता है तो वो ना केवल आजीवन पेंशन का हकदार हो जाता है बल्कि उसकी पत्नी को भी पेंशन मिलती है और जीवन भर एक व्यक्ति के साथ ट्रेन में फ्री यात्रा करने का हकदार हो जाता है । याचिका में कहा गया है कि किसी राज्यपाल को भी जीवन भर पेंशन नहीं मिलती है।
वर्तमान जजों को भी साथी के लिए मुफ्त यात्रा का लाभ नहीं दिया जाता है भले ही वो आधिकारिक यात्रा पर ही क्यों न जा रहे हों।आपको बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर ) ने भी इस मामले में याचिका दायर की है। एडीआर के मुताबिक सांसदों और विधायकों को आजीवन पेंशन देने की व्यवस्था संविधान की धारा 106 का उल्लंघन है। धारा 106 में वर्तमान सांसदों के बारे में कहा गया है, पूर्व सांसदों के बारे में नहीं।