नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन को आज 22वां दिन है। किसान दिल्ली के चारों ओर डेरा डाले हुए बैठें हैं। इसके साथ किसान आंदोलन के मुद्दे को आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरा दिन है। जिसके चलते आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करने की बता कही है। किसानों के हक की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने सरकार से कहा कि अगर आप आश्वासन दें सकें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक नया किसान कानून लागू नहीं होगा तो बात बन सकती है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा कि प्रदर्शन से किसी को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। वहीं अदालत में किसी भी कानून किसान संगठन के ना होने कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसानों से बात करके ही कोई फैसला सुनाएंगे।
नए कृषि कानूनों पर रोक लगाई जाए- हरिंदर सिंह
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज से सर्दियों की छुट्टी शुरू हो रही है। इसलिए चीफ जस्टिस ने कहा कि आगे की सुनवाई के लिए वेकेशन बेंच के पास जा सकते हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, “एक प्रदर्शन तब तक संवैधानिक है जब तक यह किसी भी तरह जानमाल को नुकसान नहीं पहुंचाता। केंद्र और किसानों को बात करनी चाहिए। हम सोच रहे हैं कि एक स्वतंत्र कमेटी बनाएं जिसके सामने दोनों पक्ष अपने किसान कानून पर अपनी बात रखें और मुद्दे को सुझाएं। स्वतंत्र कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और दूसरे सदस्य हो सकते हैं। किसान इस तरह हिंसा को नहीं उकसा सकते और ना शहर को घेर सकते हैं। किसानों के आंदोलन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर पूछे गए एक सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा, “शीर्ष अदालत से हमारी यही गुहार है कि पहले नए कृषि कानूनों पर रोक लगाई जाए, फिर समस्याओं के समाधान निकालने का आदेश दिया जाए। एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी कर किसानों के मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाने की बात कही थी।
कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है- सुप्रीम कोर्ट
तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है। वहीं सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने सरकार से कहा कि अगर आप आश्वासन दें सकें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक नया किसान कानून लागू नहीं होगा तो बात बन सकती है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस पर सरकार के साथ चर्चा करनी होगी।