नई दिल्ली। देश की कानून व्यवस्था ने पारिवारिक मसलों को सुलझाने के लिए पारिवारिक आदालतों को बनाया है, लेकिन कई बार पारिवारिक मसलों को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को ही बीच में कूदना पड़ता है और ये सब सुप्रीम कोर्ट ने अपने वकीलों के द्वारा करके भी दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी लड़ाई लडने वाले जोड़ों के बीच में सुलह कराकर उन्हें एक साथ खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने की सलाह दी है। इसी कड़ी में अब एक नए जोड़े का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल राजस्थान के पवन कुमार शर्मा और उनकी पत्नी सनी शर्मा के बीच चल रहे तलाक के मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा सुलझाया की ये जोड़ा आया तो लड़ते-लड़ते था, लेकिन गया प्यार के एक नए बंधन में बंधकर।
पवन ने हिंदू विवाह अधिनियम के सेक्शन 13 के तहत पत्नी से तलाक की अर्जी दी थी और दोनों के बीच में अलवर की एक पारिवारिक अदालत में तलाक का मामला चल रहा था, लेकिन सनी ने इस मामले को गुरुग्राम ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी, लेकिन इस मामले के गुरुग्राम कोर्ट पुहंचाने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुलझा दिया। बता दें कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरू में दोनों को गुरुग्राम स्थित मध्यस्था और सुलह केंद्र जाने का निर्देश दिया। हालांकि ये कोशिश नाकाम रही क्योंकि पति इसमें शामिल नहीं हुआ, जिसके बाद पीठ ने दोनों को अगली सुनवाई में पेश होने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील गरिमा प्रसाद को पक्षकारों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त कर दिया। गरिमा ने दोनों के साथ लगभग तीन घंटे लंबी चर्चा की। हैरानी की बात है कि मध्यस्थ से बातचीत के अगले ही दिन दंपति ने पीठ से कहा कि वे साथ रहना चाहते हैं और अपने बच्चे के साथ पुणे जाएंगे। उन्होंने अदालत को बताया कि दोनों अतीत के गिले-शिकवे भूलाकर एक दूसरे को माफ कर देंगे और खुशहाल जीवन बिताएंगे। पति ने जहां अदालत से तलाक के मामले को खारिज करने का अनुरोध किया। वहीं पत्नी ने पति के खिलाफ आपराधिक मामलों को आगे न बढ़ाने की बात कही। इस पर पीठ ने मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाली वकील गरिमा प्रसाद की सराहना की।