निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका पर आज एक बार फिर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि इससे पहले 4 मई को निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की पुनर्विचार याचिका फैसला सुरक्षित रखा था।
दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने दोषी विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।गौरतलब है कि दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है।बताते चलें कि मामले की सुनवाई के दौरान दोषियों की तरफ से दलीलें दी गयीं थी कि-
मामला फांसी की सजा का नहीं है,वो ‘दोषी’ गरीब पृष्ठभूमि से आए हुए हैं
मामला फांसी की सजा का नहीं है। वो ‘दोषी’ गरीब पृष्ठभूमि से आए हुए हैं। वो आदतन अपराधी नहीं हैं। इसलिए सुधरने का मौका दिया जाए। वहीं दिल्ली पुलिस ने इन दलीलों का विरोध किया है। कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है।
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115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है
दोषी विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी पृष्ठभूमि और सामाजिक आर्थिक हालात को देखकर सजा कम की जाए। 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है। सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं। सजाए मौत सिर्फ अपराधी को खत्म करती है अपराध को नहीं।
एपी सिंह ने कहा कि मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है।ये दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता है
वकील एपी सिंह ने कहा कि मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है।ये दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। एक ही मुख्य गवाह और पारिस्थिजन्य सबूतों के आधार पर मौत की सजा नहीं दी जा सकती।जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्भया मामले की सुनवाई के दौरान हमने हिमालय की तरह धैर्यता रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि पीड़ित के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशान को अनदेखा कैसे कर सकते हैं?
मुकेश को दोषी डीएनए की जांच और पीड़ित के आखिरी समय के बयान और रिकवरी के आधार पर ठहराया गया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकेश को दोषी डीएनए की जांच और पीड़ित के आखिरी समय के बयान और रिकवरी के आधार पर ठहराया गया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपके अनुसार CRPC 313 के तहत दर्ज बयान को नहीं माना जाए क्योंकि आपके मुताबिक आपने टॉर्चर के बाद बयान दिया। और आप दबाव में थे तो ऐसे में फिर देश में कोई भी ट्रायल नहीं चल पाएगा।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश के पुनर्विचार याचिका का विरोध किया
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश के पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये मामला पुनर्विचार का बनता ही नहीं है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर थ्योरी ये कह रहे हैं वो गलत है क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रसाशन या निचली अदालत को बता सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन कवाली दलील को दिल्ली पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन कवाली दलील को दिल्ली पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है।वहीं दोषी मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें टॉर्चर किया गया। मैंने टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था। लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया।
वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है
अक्षय कुमार सिंह के वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है,हम इसे दाखिल करेंगे। शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।
बता दें कि 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। और गंभीर चोट देने के बाद सड़क पर फेंक दिया था।
सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान निर्भया की मृत्यु हो गई थी
मालूम हो कि सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान निर्भया की मृत्यु हो गई थी। आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
दोषी मुकेश ने याचिका में फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की अपील की
दोषी मुकेश की तरफ से ये भी कहा गया कि जांच सही से नहीं कि गई। मैं मोके पर नहीं था ,सजायाफ्ता मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। याचिका में फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की अपील की है।
याचिका में फांसी पर अंतरिम रोक की मांग भी शामिल है
गौरतलब है कि याचिका में फांसी पर अंतरिम रोक की मांग भी शामिल है। बता दें कि खुली अदालत में पुनर्विचार याचिका पर होनी थी। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आदेश दिया था कि फांसी की सजा के मामलों में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी।
महेश कुमार यदुवंशी