सुप्रीम कोर्ट में आज कोरोना वायरस मरीजों के घरों के बाहर चिपकने वाले पोस्टर वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना मरीजों के घरों के बाद पोस्टर लगाए जाने के बाद उनके साथ अच्छूतों जैसा व्यवहार किया जाता है.
‘कोरोना मरीजों से होता है अच्छूतों जैसा व्यवहार’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने के बाद उनके साथ अच्छूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये उन लोगों की निजता का हनन भी करता है.
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार की तरफ से जवाब में कहा गया कि केंद्र ने पोस्चर लगाने का कोई आदेश नहीं दिया है, ये फैसला राज्य सरकारों का है. साथ ही केंद्र की ओर से ये भी कहा गया कि पोस्टर लगाने का केवल मतलब इतना सा है कि पड़ोसी या कोई भी जानकार संक्रमित व्यक्ति के घर जाने से बचे. संक्रमण फैलने के रुके.
सुप्रीम कोर्ट ने इस जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुआ कहा कि लेकिन सच्चाई कुछ ओर ही है पोस्टर लगाए जाने से लोग मरीजों को अछूत समझने लगे हैं. अब इस मामले की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी जब राज्य सरकार अपना पक्ष रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि जब दिल्ली सरकार पोस्टर न लगाने के आदेश को मान गई है तो फिर आखिर केंद्र पूरे देश में ऐसी गाइडलांइस जारी क्यों नहीं कर सकता.